थोड़े  से  तुम  थे

थोड़े से तुम थे, थोड़े हम थे, थोड़ी खुशियाँ, थोड़े गम थे। दर्द ज़िन्दगी में तो ना कभी कम थे, पर वजह सहने की फिर भी, तुम सनम थे। थोड़े से तुम थे, थोड़े हम थे, थोड़ी खुशियाँ थोड़े गम थे। जो मैं तेरा हो ना सका, क्या मुझे हक़ है तुझे अपना कहने का ? ख्वाइशें जो मैं पूरी कर ना सका, क्या मुझे हक़ है कुछ माँग सकने का ? फिर क्या कहें और किसके दम पे , जो मेरे आँसूं तेरे गालों पे नम थे। थोड़े से तुम थे, थोड़े हम थे, थोड़ी खुशियाँ, थोड़े गम थे। ...

September 11, 2019  · #417