अश्क़
अश्क़ों का क्या है, ना समय ना बहाना, अश्क़ तो निकल ही आते हैं, साथ छोड़ने से पहले, साथ छूटने के बाद, दिल तोड़ने से पहले, दिल टूटने के बाद। अश्क़ सामने होते दांट देता, जो दोस्ती होती इनसे तो गम बाँट लेता, और जो होती दुश्मनी कसम से, बहुत लड़ता, बहुत झगड़ता। पर अश्क़ों का क्या है, ना अपना ना बेगाना, अश्क़ तो निकल ही आते हैं, दर्द देने से पहले, दर्द मिलने के बाद, सांस लेने से पहले, सांस लेने के बाद। ...