हर्ज़

वैसे तो नहीं मानता मैं, ये रिवाज़ नए-नए त्योहारों के, जहां दुनिया बताती है, कहां, कब और क्या खरीदना है बाजारों से। मगर मां को एक दिन के लिए खुश देखा, तो लगा, नए रिवाज अपनाने में, इतना हर्ज़ भी क्या है? यूं बाजारी त्योहार मनाने में, इतना हर्ज़ भी क्या है? कौन सा साल भर मैं इतनी, कद्र करता ही हूं मां की, बाकी दिन वैसे भी मुझे खिलाकर, वो अकेले आधी रात को खाती है। घुटने का दर्द ना मैं याद रखता हूं, ना वो कभी अपने से याद दिलाती है। काश बाकी दिन भी पूछ लिया करूं, मां ये तेरा मर्ज़ भी क्या है? आज ड्यूटी निभाने को पूछा तो, यूं बाजारी त्योहार मनाने में, इतना हर्ज़ भी क्या है? ...

June 25, 2023  · #429

मुबारक़

ज़िन्दगी का नाम ही परेशानी रख देना चाहिए, और परेशानी को ही मुझे अपना फलसफा कहना चाहिए। मगर इस पथरीले इकतरफा फ़साने में एक मोड़ आता है, जहाँ से रास्ता आसान तो नहीं होता, पर चलने का हौसला मिल जाता है। जब बाँटने वाला मिलता है ना, तो परेशानी आधी और ज़िन्दगी पूरी लगने लगती हैं। जब हौसला मिलता है ना, तो रास्ता छोटा और मंज़िल पास लगने लगती है। ...

September 11, 2020  · #425

Die

What I am afraid of more than dying… is the thought of living long enough… to see you die… ~RavS ## Are you not afraid of living long enough to see your loved ones die? ##

July 16, 2020  · #423

अकेला

उसकी यादें, उसकी चाहत, उसके ख्वाब, उसकी हसरत, उसकी हस्ती, उसके वादे, कुछ कर जाने के इरादे, माँ की गोद, पत्नी का आँचल, लोरी को ताकती बेटी का काजल, दर्द का बोझ उठाये कंधे, गले में उलझे पोशीदा फंदे। …हम्म सब मरते हैं साथ में, वो ‘अकेला’ मरते हुए भी अकेला नहीं होता। ~रबी [ His memories, his desires, His dreams, his longings, His personality, his promises, Intentions to do something, Mother’s lap, wife’s scarf, Mascara of little daughter waiting for lullaby, Shoulders bearing the pain, An invisible noose stuck in the neck. … Hmm Everything dies with him, He is not alone even while dying ‘alone’. ] ...

June 14, 2020  · #422

मैं कश्ती हूँ

मैं कश्ती हूँ, मैं बहूँगा, थोड़े जल की बस ज़रूरत है। मैं लफ्ज़ हूँ, मैं रहूँगा, चढ़ने की लबों पे ये कुव्वत है। जो देखे थे तूने सपने, वो ख़्वाब अब भी पाले हूँ। तेरी आँखों से गिरे कतरे, मैं अब भी उन्हें संभाले हूँ। मैं सुबह हूँ, मैं लौटूँगा, बस रात ढलने की ही देरी है। मैं आग हूँ, मैं देहकूँगा। चिंगारी लगने की बारी मेरी है। ये ज़ंजीर मुझको काटे हैं, मुझे इनसे तू कट जाने दे। मैं हल्का सा ही जी लूँगा, फिर चाहे पूरा मर जाने दे। ...

May 16, 2020  · #421

...हो जैसे

आज वो नहीं, कुछ अंदर-अंदर मरा हो जैसे। काश बह जाए, मुझमें एक समंदर भरा हो जैसे। वो चला गया बेवक़्त ऐसे ही एकदम से, तक़लीफ़ हो रही है, घाव बेहद हरा हो जैसे। आज आसमान देखने की चाहत नहीं रही, मेरा चहीता तारा टूटकर गिरा हो जैसे। कुछ लोग अपने होने से ही ख़ुशी देते हैं, छटपटाहट है, वो सुकून छिन गया हो जैसे। याद करने वाला मैं अकेला तो नहीं, फिर भी, परेशान हूँ, वो हमें भूल गया हो जैसे। मैं उसे जानता नहीं था, बस देखा था अक्स उसका, अक्सर याद करूँगा फिर भी, मेरा कोई अपना गया हो जैसे। ...

April 29, 2020  · #420

November

When the dust would have settled and the sky lit blue, When the memories have faded but not the vows we took, When you would have left just now, and the time had stalled. I will wait for you, for as long as it takes, in the November’s cold. ~RavS ## Written for a friend on their anniversary :) ##.

November 12, 2018  · #379

You Are The Pain

You are the pain, you are the suffering. You will be end now, you were the beginning. The path that leads to you… It’s excruciating, But I chose it myself, I am not complaining. Not just Love, it’s my existence I am fighting for. Everything I am now, it’s you at the core. So when I say, it hurts all the time, you’d know, But the fact it hurts you, hurts me even more. ...

July 16, 2018  · #375

माँ  तुझे  मेरी  याद  तो  आएगी  ना ?

अपना आँचल मेरे सर से हटा कर, कंधे पर रखा ‘बोझ’ बता कर, किसी और को मेरा जिम्मा थमा कर, मुझे भूल तो नहीं जाएगी ना ? माँ तुझे मेरी याद तो आएगी ना ? क्यों बेटियां ही दूर जाती हैं माँ ? उम्र भर साथ नहीं रह सकती मैं, क्यों ना ? बदन तप रहा होगा, या होगा दर्द सर में, तू मुझे अब भी अपना हाल तो बताएगी ना? माँ तुझे मेरी याद तो आएगी ना ? ...

May 16, 2018  · #373

जब तुम आओगी

खुशियाँ तलाशते बहुत दुख दिए हैं तुम्हे, तुम्हारा आँचल भरूंगा अब इन्हीं खुशियों से। मैं जीना थोड़ा भूल सा गया हूँ, जब तुम आओगी न तो अब से जीने लगूँगा। कई रातें काट दी खुली आँखों मे, जगाये रखा मुझे तुम्हारे सपनों ने। तुम्हारे ना मिलने का डर सोने नही देता मुझे, जब तुम आओगी न तो चैन से सोया करूँगा। शिकायत तुम्हें फ़िज़ूल ही रहती है मुझसे, मैं अब भी वही हूँ, जैसा मिला था तुम्हें। सच है, मैं निकला नहीं एक अरसे से बारिश में, जब तुम आओगी न तो जी भरकर भीगा करूँगा। ...

April 30, 2018  · #372