सजनी
सजनी देखो, मेरी एक बात सुनो, कबसे नहीं बोली तुम, कुछ बात तो करो, जो भी बात हुई, छोटी बड़ी कुछ भी, जाने दो, तुम ऐसे तो ना रूठो। सजनी, तुम्हे तो पता ही है, मैं कैसा हूँ, छोटी छोटी बात पर बिफर पड़ता हूँ। पर तुम तो वो धागा हो ना, जो बांधे रखता है, तुम टूटो तो मैं भी बिखर पड़ता हूँ। दुखता मुझे भी है सजनी, जो चोट लगती है तुमको , छलनी होता है कलेजा मेरा भी, ठेस लगती है जब तुम्हारे दिल को, बहुत गुस्सा हो ना, मैं जानता हूँ। क्या पता तुम्हे अच्छा लगे, चलो थोड़ा सा मुझे आज मार ही लो। ...