रूह तक बेच दी
अब तक बस हँसना ही आता था हर घड़ी , तुमने हर पल ग़म सहना सिखा दिया। अब तक पहुँचता था मंज़िल तक वक्त - बेवक्त कभी , तुमने मुश्तों इंतज़ार करना सिखा दिया। अब तक लगता था तुम हो बस प्यार के ही काबिल , तुमने तुमसे बेइन्तेहाँ नफरत करना भी सिखा दिया। मैंने तो रूह तक बेच दी थी तुम्हारे नाम से , बताओ मेहरुल तुमने मुझे क्या दिया ? ...