चेहरा
चेहरा तो भुला देता हूं, क्या करूं, यादें नहीं मिटती, दिन तो कट जाते हैं यूं तो, तुझ बिन रातें नहीं कटतीं। वो तकियों को नम करना, और मुंह भींच कर रोना, कोई सुन ना ले मेरी सिसकियां, तो चीख़ों से आवाज़ नहीं निकलती । मैं सोता नहीं चादर तले, इस आस में तुम आके जगाओगे, पर तुम नहीं आते, ना आओगे, ना जाने क्यों, फिर भी, आंखें नही खुलती । ...