आओ किसी दिन

आओ किसी दिन मेरे आँगन में तुम धूप बन कर, मेहको कभी मेरे बाग़ों में एक फूल बन कर, लहराओ किसी दिन मेरी छत पर तुम पतंग बन कर, बसो कभी मेरे दिल में एक उमंग बन कर, होने दो किसी दिन यकीन मुझे भी अपनी किस्मत पर, रखो कभी अपने कदमो को मेरी चौखट पर, क्या करूँ बहक जाता हूँ, तुम्हें देख कर, बता देना, कहीं मैंने कुछ ज़्यादा तो नहीं मांग लिया। ...

May 16, 2012  · #62

क़तरा - क़तरा

रेशा - रेशा, क़तरा - क़तरा, महक उठे मेरा। कुछ इस तरह आज तुम मुझे गले लगा लो। ~रबी [ Every fiber, every strand of mine, engulfs in your fragrance, I need you to hug me today in that fashion. ]

May 6, 2012  · #60

इतना भी क्यों तुम समझ नहीं पाती हो?

मैंने चाहा है तुम्हें माहरुख*, क्यों तुम मुझे इतना सताती हो? मेरी क्या है गलती, बता दो मुझे, मुझे क्यों तुम बेवजह रुलाती हो? काश खता पता होती मुझे अपनी, काश कोई बता पाता, आज कल क्यों तुम खफा-खफा नज़र आती हो? भुला दो जो भी गिला है मुझसे, मुझे सजा देने की फ़िराक में क्यों तुम खुद ही को जलाती हो? कल मैं ना रहूँगा तो मुझे याद कर रोया करोगी, तो आज क्यों नहीं तुम मुझे देख कर मुस्कुराती हो? ...

April 23, 2012  · #55

ख़यालों में

ना आया करो यूँ ही ख़यालों में कभी भी , मुझे अपनी हर मुस्कराहट का हिसाब देना पड़ता है। ~रबी [ Do not come in thoughts, at just any random time, I have to explain each smile of mine to others… ]

April 19, 2012  · #53

पानी-पानी

मत आया करो सामने, के प्यार उमड़ पड़ता है। किसी दिन बह गए इसमें, तो पानी-पानी हो जाओगे। ~रबी [ Please don’t come in front of eyes, as love starts brimming over. If you get washed away in it someday, then you will feel ashamed in public. ]

March 12, 2012  · #49

बेख़बर

वो हमें हर गली, हर मंज़र, हर जहान ढूँढ आये , इस ज़मीन से आसमान के दरम्यान ढूँढ आये , पर ऐसी बेख़याली में लोग अक्सर होश खो ही बैठते हैं , हम तो उनके पास ही थे हमेशा , वो बेख़बर दिल पर हाथ ना रख पाए। ~रबी [ They searched for me in every lane, every scenery, every world, They searched for me everywhere between land and sky, But in this mindlessness, people often lose all their senses, I was with them only, always, they forgot to keep their hands over their heart. ] ...

March 1, 2012  · #44

फुर्सत

तड़प-तड़प के रुख़सत-ए-दुनिया हुए उनके चाहने वाले, हाय! उन्हें अब साँस लेने तक की फुर्सत ना रही। ~रबी [ Her lovers left the world tossing in agony, Oh! Now she doesn’t even have time to catch a breath. ]

February 28, 2012  · #43

रज़ा

अब इसे इत्तेफाक कहें या रज़ा खुदा की … घर से निकले थे इश्क करने , और अगली ही गली में आप दिख गए … ~रबी [ Now should I call this coincidence, or God’s will… That I started from my home to find love, And in the very next lane I found you… ]

February 23, 2012  · #40

सारी  रात

कोई कह दो उनसे, कि हमारी याद में सारी रात जागा ना करें, हमने उनके सपनों को ही अपना घर कर लिया है। ~रबी [ Go tell her, not to stay awake whole night remembering me, I have made her dreams only as my home now. ]

February 20, 2012  · #39

तुझे तराशने में उसको बहुत वक्त लगा होगा...

काजल के घेरे में महफूज़ दो आँखें, ठिठुरती सर्दी में सुकून देती वो साँसे, झुककर उठतीं, उठकर झुकतीं पलकें, उँगलियों से पूछतीं, घर का पता भूल बैठी लटें, नर्म होटों पर पनाह लिए कुछ अलफ़ाज़, कानों में मिसरी बन घुलती एक आवाज़, चेहरे पर रुक रुक कर आती एक मासूम मुस्कान, गालों पर पड़ते गड्ढे, झूमती बालियों से सजे कान, केशों में फँसी ओस की बूंदे, तेरी बाहों पर झूलने को बेचैन नज़र आती हैं, पाओं में पड़ी पायलें, इक इक कदम पर तेरे होने का एहसास कराती हैं, ...

February 18, 2012  · #38