आओ किसी दिन
आओ किसी दिन मेरे आँगन में तुम धूप बन कर, मेहको कभी मेरे बाग़ों में एक फूल बन कर, लहराओ किसी दिन मेरी छत पर तुम पतंग बन कर, बसो कभी मेरे दिल में एक उमंग बन कर, होने दो किसी दिन यकीन मुझे भी अपनी किस्मत पर, रखो कभी अपने कदमो को मेरी चौखट पर, क्या करूँ बहक जाता हूँ, तुम्हें देख कर, बता देना, कहीं मैंने कुछ ज़्यादा तो नहीं मांग लिया। ...