अब कुछ बचा नहीं...
किसी ने हूर, किसी ने नूर, किसी ने परी, किसी ने जलपरी कहा होगा, किसी के लिए मोहिनी, किसी के लिए अप्सरा, कोई कहे संजीवनी, किसी ने विष कन्या का नाम भी लिया होगा, अब क्या कहूँ इसके बाद तुम्हारे वास्ते, मेरे कहने के लिए अब कुछ बचा नहीं। किसी को हुई होगी चेहरे को चाँद समझने की गलतफहमी, कोई माथे को सूरज समझ बैठा होगा, किसी ने झुकी पलकों में आयतें ढूंढी होंगी, कोई जुल्फों को ही नमाज समझ बैठा होगा, किसी को हंसी से ख़ुशी नसीब हुई होगी, कोई उसी हंसी से जल मरा होगा, अब क्या ढूँढू खुली किताब में अपने वास्ते, मेरे ढूंढने के लिए अब कुछ बचा नहीं। ...