अजीब-ओ-गरीब
जो कहना है कहा नहीं जाता, तुम अजीब-ओ-गरीब बातें करते हो। जो मैं पूरी कर नहीं सकता, न जाने कैसी-कैसी फरियादें करते हो। क्या सुनूँ, क्या समझूँ मैं, तुम क्या कहते, क्या छुपा कर रखते हो। न जाने क्यों लगता है तुम्हें, दवा नहीं मैं, इसलिए अपना मर्ज़ दबा कर रखते हो। छोड़ो, जब दूर जाते जाते थक जाओ, तो लौट आना, मैं कहाँ मिलूंगा, इसका पता तो तुम रखते हो। ...