सुबह तेरी आवाज से शरू होती थी

सुबह तेरी आवाज से शरू होती थी , रात ढलती थी तेरे नाम से … बहुत कोशिश की, तुझे जेहन से निकालने की, तुम फिर भी आ जाते थे सपनो में कितने आराम से। तुम्हे क्या पता कितनी रातें हमने जाग कर गुजारी हैं, तुम्हे क्या पता कितने आंसूं हमने छिपकर हैं बहाए, तुम्हे तो लगता होगा तकलीफें सिर्फ तुम्ही को मिली हैं , तुम्हें क्या पता कितनी तकलीफ हम अपने अन्दर हैं दबाये। ...

October 5, 2014  · #255

समझ  पातीं

तुम्हें जो बताने की चाहत थी , काश तुम मेरी वो बात समझ पातीं। अलफ़ाज़ तो वो ही हैं सीधे से, जो तुमने पढ़े अभी-अभी , काश उनके पीछे की आवाज़ समझ पातीं। लिखा भी तुम्हारी बोली में ही था, बस बात बेबाक नहीं लिखी , काश मेरे लिखने का अंदाज़ समझ पातीं। ~रबी [ The ones I wanted to convey, I wish you could have understood those feelings, The words were simple, that you read just now, I wish you could have understood the voice behind them. ...

January 29, 2012  · #25