बोल कौन रंग लगाऊं तुझे...

बोल कौन रंग लगाऊं तुझे… है एक पीली पीली सुगबुगाहट का रंग, जो तेरे आने से दमक उठता है, है एक गुलाबी ख्वाइशों का रंग, जो तुझे देख मचल उठता है, है एक लाल रंग मेरे पास, पर वो तो तूने गालों पर कब से ओढ़ रखा है, है एक गहरा नीला रंग, जो तेरी आँखों से ही निकला लगता है, है एक हरा रंग, क्या कहूँ इसके बारे में, तेरी मेहँदी से शायद बहुत जलता है, है तो रंग बहुत से और भी, कत्थई, नारंगी, फिरोज़ी, जामुनी… तुझ पर न चढ़े तो फिर इन रंगो में क्या रखा है। ...

March 17, 2014  · #166