ज़िन्दगी   बस   कुछ   इस  तरह  से गुज़र  गयी...

ज़िन्दगी कुछ इस तरह से गुज़रती गयी , कुछ उसकी याद में, कुछ उसकी आस में , कुछ उससे , कुछ उसी की बात में , मुट्ठियाँ बंद करता रहा, वो फिसलती गयी। कुछ लड़ते लड़ते, अंहम को लगी ठेस में। कुछ नाराज़गी, कुछ अफ़सोस में , मैं चीखता रहा, वो दूर होती गयी। कुछ सोचने में, कुछ समझने में , कुछ गलतफहमियों से निकालने, निकलने में , बेबस खड़ा रहा, वो धीरे धीरे कहीं खोती गयी। ...

February 19, 2015  · #317