ख्वाब

कुछ तो ऐसा रखते हो निगाहों में छुपाकर, जिसका इल्म हमको नहीं लगता है। की जिस भी ख्वाब पर तुम्हारी निगाहें पड़ जाती हैं, वो ख्वाब खुद को मुकम्मल समझने लगता है। ~रबी [ You definitely keep something hidden in your eyes, That we don’t come to know about, That whichever dream you fix your eyes upon, That dream starts to think yourself as complete. ]

July 29, 2014  · #233

There was blood.

I was alright, as I laid asleep, Then suddenly the wound ripped, And it started to bleed, First the body dripped in blood, Then the pillow, then the sheet. I was in writhing in pain so much, Tried, I couldn’t even scream, The blood started spilling; drop-by-drop-by-drop, Every ounce wanted to ooze out of my frame. I were to drown in my own pool of blood. And my bed was to become my own grave. ...

January 12, 2014  · #150

यही सवाल था

वो कोई तो जाना-पहचाना सा शख्स था, जिसका आँखों में आज अक्स था। कुछ धुंधली धुंधली सी उसकी परछाई थी, अचानक ही अहातों में उतर आयी थी। कुछ तो था जो वो कहना चाहता था, पर मेरे इर्द गिर्द तो बस एक घहरा सन्नाटा था, कानो तक पहुँचती उसकी सहमी सहमी सी साँसें थी, छिपी कहीं जिनमे दम तोड़ चुकी कुछ बातें थी। कुछ दूर बढे उसके मेरी तरफ कदम, फिर सिहर गए, हाथ उठे कुछ दिखाने को, पर ठहर गए, “पीछे मत देखना"… बस इतना कहा उसने फिर मुड़ गया, नहीं आया वो साया लौटकर, एक बार जो उड़ गया, धड़कने बढ़ चली, वहीं खड़ा रहा निस्तब्ध सा, मन तो बहुत किया, पर मुड़कर नहीं देखा। ...

January 9, 2014  · #149

एक सपना

चलो आज मिलकर एक सपना बुनें, जिसमे सिर्फ तुम रहो, और मुझे पनाह मिले, जहाँ और किसी का जिक्र न हो, जहां और किसी से इल्तिजा न रहे। गम का जिसमे निशाँ ना हो, आँसुओं को जिसमे जगह ना मिले, अगर कुछ रहे तो बस एक सुकूँ, ये यकीन, मैं तेरी, तू मेरी नींदों में रहे। एक सपना जो असलियत सा लगे, और हकीकत बुरा ख्वाब महसूस हो मुझे, जिसको देखूं तो जागने की तमन्ना न रहे, चलो आज मिलकर एक सपना बुनें। ...

August 5, 2012  · #84