दरिया
ये ज़िन्दगी का दरिया, बहा ले जा रहा है कहाँ, ना मुझे रास्ते का इल्म, ना तुम्हें मंजिल का पता। ‘गर कुछ भी न किया तो, दूर बहुत दूर निकल जायेंगे, गुमनामी के भंवर में गुम हो, लौट वापस न पायेंगे। चलो इस कश -म -कश से अब बाहर निकलते हैं , तुम संभालो एक पतवार, दूसरी हम पकड़ते हैं। [ TIME सही है, CAT की preparation शुरू करते हैं। ] ...