मेहरम
खुदको मेहरम कहने दे, तेरा साया बनके रहने दे। जो आग लगी है कलेजे में, इसे सींच ना, थोड़ा जलने दे। कुछ लोग नसीहत देते हैं, ना काबिल तेरे लिए, कहते हैं। क्यों रोके हैं उनका मुँह फिर तू, आज इस बात का इल्म भी करने दे। जिसे मेरे होने का अफ़सोस ना हो, ना जाने कब मिलेगा शख्स वो। उधारी सही, तू फकत सुकून तो दे, यहाँ बस नोचने वाले रेह्न्दे ने। ...