नींद भरी आँखें

रोने को ना आंसूं दिए, ना कांधा दिया तुमने , मैं सो नहीं पाता हूँ अक्सर, बस अपनी नींद भरी आँखें दे दे। पूछो ना भगवान से अपने, मुझे मेरी खता तो बता दे , जिन्हे मैं थोड़ा सा चाहने लगता हूँ, भगवान को बस उन्ही से क्यों दिक्कत हो जाती है। उन्हें पता है मुझसे अपनों की तकलीफ बर्दाश्त नहीं होती, फिर बस उन्हें ही क्यों दर्द देते। मेरे बदले माफ़ी मांग लेना ना दोस्त, मेरी तो वो माफ़ी भी नहीं सुनते … रोने को ना आंसूं दिए, ना कांधा दिया तुमने , मैं सो नहीं पाता हूँ अक्सर, बस अपनी नींद भरी आँखें दे दे। ...

December 19, 2014  · #296

दर्द

दर्द इतना है, शायद अब दर्द की तलब सी हो गयी, जो ना हो दर्द तो लगता है, मुझे कुछ ना-मुकम्मल कहीं, कभी कभी दर्द खुद चिल्ला उठता है, बस कर फैज़, अब और नहीं, अब और नहीं। ~रबी [ There’s so much pain, may be now I am addicted to it, If I don’t feel pain, I feel there’s something missing in me, Sometimes the pain itself cries out loud, Stop it Faiz. It’s enough. It’s enough. ] ...

March 31, 2014  · #167