तुम्हें जो बताने की चाहत थी ,
काश तुम मेरी वो बात समझ पातीं।अलफ़ाज़ तो वो ही हैं सीधे से, जो तुमने पढ़े अभी-अभी ,
काश उनके पीछे की आवाज़ समझ पातीं।लिखा भी तुम्हारी बोली में ही था, बस बात बेबाक नहीं लिखी ,
काश मेरे लिखने का अंदाज़ समझ पातीं।~रबी
[ The ones I wanted to convey,
I wish you could have understood those feelings,
The words were simple, that you read just now,
I wish you could have understood the voice behind them.
I wrote them in your language only, just that I didn’t write frankly,
I wish you could have understood my style of writing. ]