आप-बीती
मैं कौन था, अब क्या हो गया हूँ। अपने अक्स में अक्सर, अतीत ढूंढता हूँ। एक आह है अंदर घुटी सी, एक चाह दिल में कुछ दबी सी। चला जा रहा हूँ कहाँ, मुझको जाना है कहाँ, कहाँ छोड़ आये तुम मुझे, ये ज़िन्दगी देके, खुदखुशी सी। कहते हैं वो कुछ लोग, मैं बदल गया हूँ। कुछ कागज़ी टुकड़ो पे, रूह बेच उठा हूँ। वो ना समझेंगे कभी, आलम -ए -दिल -ए-बेताबियाँ मेरी। करें किस्से फ़रियाद मगर, करें कैसे फ़रियाद मगर, रुस्वा रहती है अब जो, मुझसे मेरी शायरी भी। ...