कुछ लोग
वो हाथ तो पकड़ते हैं, मगर साथ नहीं। वो मिन्नतें तो सुनते हैं , पर गुहार नहीं। वो निवाला तो देते हैं, मगर इलाज नहीं। कुछ लोग मदद करते हैं, कुछ लोग नहीं। वो प्यार तो करते हैं, मगर मजबूरियों के चलते। वो वादे तो करते हैं, पर सब झूठे हैं निकलते। वो विश्वास तो करते हैं, मगर सहूलियत के हिसाब से। मैं किससे उम्मीद करूँ, और किससे नहीं। वो मेरा इस्तेमाल करते हैं, मगर क्या ये गलत है ? वो दिखावे का ख्याल रखते हैं, पर क्या ये गलत है ? वो मुझसे बेजां मलाल रखते हैं , मगर क्या ये गलत है ? कुछ लोग समझते हैं रबी, कुछ लोग नहीं। ...