अनकही बात

एक बात थी कहने को, जो अरमान बन रह गयी। दिल से तो निकली थी उफ़न के, पर ज़ुबान बंद रह गयी। तुझको पाया तो औरों की क्या कहें, खुद अपने हाथों की लकीरें दंग रह गयीं। कुछ इस कदर हारे हम तेरी आदतों से, मेरी हर अदा तेरी शोख़ियों के आगे कम रह गयी। मगर… ख़बर मिली रुख़सत होने की तेरी मुझे जब, लहू की बूँदें रगों में जम रह गयीं। ...

August 13, 2012  · #86

परख लेना

अगर बेज़ार हो वहम मेरी दोस्ती पे तुम्हें, आँखों में झाँक मेरी सच्चाई परख लेना। अगर न आ सकूँ नज़रों के सामने मैं तुम्हारी, तुम गुफ़्तगू कर मेरी वफ़ाई परख लेना। अगर न सुन पाओ मेरी आवाज़ भी एक तलब पर तुम, फ़क़त तुम पर लिखी मेरी रुबाई परख लेना। ~रबी [ If you get angry and suspect my friendship, Look into my eyes and test my truthfulness. If I can’t come in front of your eyes for some reason, You listen to my voice and test my loyalty. ...

August 6, 2012  · #85

एक सपना

चलो आज मिलकर एक सपना बुनें, जिसमे सिर्फ तुम रहो, और मुझे पनाह मिले, जहाँ और किसी का जिक्र न हो, जहां और किसी से इल्तिजा न रहे। गम का जिसमे निशाँ ना हो, आँसुओं को जिसमे जगह ना मिले, अगर कुछ रहे तो बस एक सुकूँ, ये यकीन, मैं तेरी, तू मेरी नींदों में रहे। एक सपना जो असलियत सा लगे, और हकीकत बुरा ख्वाब महसूस हो मुझे, जिसको देखूं तो जागने की तमन्ना न रहे, चलो आज मिलकर एक सपना बुनें। ...

August 5, 2012  · #84

Have You Ever Experienced Pain?

No, not the kind that comes and goes, The one that just stays and refuses to leave, The one that seeps through the skin, slowly pierces the heart and starts dissolving into your soul. The pain that makes you weak, every second, every moment, The pain that increases inch by inch, till you get overwhelmed, The pain that reminds you, I am here. Today, tomorrow, forever. The pain that becomes your very identity. ...

August 4, 2012  · #83

ज़िन्दगी - एक ट्रेन

तेरे बिना ये ज़िन्दगी, वो ट्रेन का डिब्बा है लगता, जिस पर बिन सोचे-समझे मैं चढ़ तो गया, पर अब आगे जाने का मन नहीं करता, आखिर हमसफ़र के बिना हम सफ़र करके करेंगे भी क्या? राह में कई मिले अब तक, बहुत से बुरे तो कुछ भले भी, जो कुछ ऐसे मिले भी, जिन्हें दिल ने रोकने की कोशिश की। मन किया ले चलें अपने साथ, ये ट्रेन ले जाए जहाँ कहीं भी, पर देखिये किस्मत हमारी ऐसी, उन्हें उनकी मंजिल पहले ही पता थी। ...

July 31, 2012  · #82

शीशा

क्या होता गर, इस जहां हर इन्सां शीशा बन जाता, हर शख्स में अक्स बस तेरा ही नजर आता, हर वक्त बस तू ही आँखों में कैद रहता, शीशे से उतार तुझे पलकों में समेट लेता, पर अगर किसी दिन तू मुझे अकेला छोड़ जाता, मैं तेरे साए का हर एक आइना तोड़ देता। ~रबी [ What would happen, if whole world were to become a mirror, I would see your reflection in every person, You would remain a captive in my eyes, I would have drawn you from the mirror into my eyelids, But if you would have left me alone someday, I would have broken all those mirrors. ] ...

July 30, 2012  · #81

दिल

दिल लगा के हमने देखा, दिल पर इस कदर लगी, अब दिल लगे ना लगे, फिर कभी दिल्लगी नहीं। ~रबी [ I tried giving my heart, So much it got hurt, Howsoever path3tic my life remains, I will never try it again. ]

July 27, 2012  · #80

नाम

जो नाम मुझमें शामिल था, वो नाम कहीं दूर निकल गया। जिस नाम से साँसे चलती थी, वो नाम अब कातिल बन गया। जिस नाम पर लगते थे जलसे मेरे शहर में, उस नाम पर कोलाहल मच गया। जो नाम पहुंचा था साहिल से शिखर तक, वो नाम आज धू-मिल गया। ~रबी [ The name which was inside me, That name has gone far away. The name for which I used to breathe, That name has become a killer today. ...

July 18, 2012  · #79

बस आज मेरा ये कहा मान लो

नहीं कुछ कहने की जरूरत नहीं, नहीं कुछ करने की जरूरत नहीं, एक घुटन सी महसूस होती है, बस यों ही पास बैठे रहो। नहीं मुझे चाँद नहीं चाहिए, आसमाँ के सितारों की चाहत नहीं, बहुत अकेला लग रहा है, बस मेरा हाथ थामे रहो। नहीं मेरा हँसने का मन नहीं, आज मुस्कुराने का मन नहीं, आज दिल है बस रोती रहूँ, अपनी बाहों में छुपा लो। नहीं कहीं घूमने नहीं जाना, बाहरी नज़ारों से इश्क नहीं, आज चाहत है बस सोती रहूँ, अपने सीने में पनाह दो। ...

July 15, 2012  · #78

लौट आओ, बस एक बार

सालों बीत गए, लेकिन आज भी, कभी कभी दर्द उठता है, कभी कभी चुभन होती है, जब अचानक तुम्हारी याद आती है। लोग कहते हैं, समय बड़ा बलवान होता है, सारे घाव भर देता है, शायद सच भी है, क्योंकि अब खून नहीं रिसता, अब आँसू नहीं निकलते। पर दर्द तो आज भी होता, साँसों में तड़प तो आज भी होती है, काश बाहर के घाव नहीं भरते, काश आँखें नहीं सूखती, शायद कोई ये तकलीफ देख पाता, शायद कोई दर्द कम कर पाता। ...

July 12, 2012  · #77