शायर

मैं शायर हूँ, मुझे बदनामी का डर नहीं, पर ऐ बदनाम करने वाले, मुझे बदनामी की वजह तो बता सही, अक्सर बदनाम वो ही करते हैं मुझे, जिन्हें मेरी शायरी समझ में आती ही नहीं। ~रबी [ I am a poet, I don’t fear being ridiculed, But hey you, making fun of me, Tell me why you are ridiculing, Because mostly only those laugh at me, Who don’t understand a word, and that’s the irony. ] ...

February 20, 2013  · #116

ज़िल्लत

क्यों शायर को बेवजह बदनाम करते हो, रबी, प्यार के सिवा उसने न कुछ दिया है, इन्तेकाम के सिवा उसने न कुछ लिया है, और ज़िल्लत के सिवा उसे न कुछ मिला है। ~रबी [ Why do you defame a poet without any reason? He has never given anything but love, He has never taken anything but revenge, And he never got anything but ridicule. ]

February 19, 2013  · #115

काबिल-ए-फिरदौस

नाज़ है अगर तुझे अपनी कोशिशों पर, तेरी किस्मत तेरे हाथों के आगोश है, मेरी नज़रों में एक तू ही ताहिर, बस एक तू ही काबिल-ए-फिरदौस है। ~रबी [ If you are proud of your efforts, Your luck is in the embrace of your palms, In my eyes, you are the only pure soul, Only you are entitled for heaven seventh. ]

February 17, 2013  · #114

यारी

सुख चैन सब लूटा, घर-बार सब छूटा, यारा तेरी यारी बड़ी मेहेंगी पड़ी। पर सब गया तो गया, तेरी यारी तो रही, जीना पड़ा इसी के सारे अब अगर सारी ज़िन्दगी, तो भी मुझे अब कोई गर्ज़, कोई मलाल नहीं। ~रबी [ My happiness got destroyed, Everything in life, I lost, My friend, you friendship proved very costly. But let everything be gone, at least I have your friendship, Now if I have to live my whole life by only that, I won’t ever regret it, even for a minute. ] ...

February 14, 2013  · #113

पर तुम नहीं

यूं तो बरकत भी है और शोहरत भी, साथ कुदरत भी है, ‘उसकी’ मेहरत भी , यूं तो है चार पल की फुर्सत भी, पर तुम नहीं, पर तुम नहीं… यूं तो ज़िन्दगी भी है और साँसे भी, कहने को मंजिलें भी हैं और राहें भी, यूं तो बारिशें भी हैं और पनाहें भी , पर तुम नहीं, पर तुम नहीं… यूं तो ख़ुशी भी है और हंसी भी, दिकत्तों की नहीं कोई कमी भी, यूं तो मैं कल भी था यहीं, और आज भी, पर तुम नहीं, पर तुम नहीं… ...

January 18, 2013  · #112

खरीद ही लिया!

लब्ज़ गिरते हैं उनके लबों से, शहद टपके है जैसे होटों से। झिल्मिलातीं हैं आँखें उठती-झुकती पलकों से, जुगनू झांकें हैं जैसे झरोखों से। मचल पड़ती है बालियाँ कभी-कभी कानो में, पत्तें लेते हों करवटें जैसे आहट-ए-हवाओं से। बनते जाते हैं निशाँ गीली मिट्टी में कदमो के, कोरे कागज़ पे उडेलता हो कोई अफसाना सिहाइयों से। … और सबसे बढ़कर, इतराने की उनकी ये अदा, कसम से मेहरुल, आज तो तुमने बन्दे को खरीद ही लिया! ...

January 14, 2013  · #111

हया

बेबाक बेफिक्र सी जब हया तू निकलती है, बेधड़क बेवजह ही दिल से आह सी निकलती है, बेकदर बेरुखी, पर इस दुनिया से क्या कहिये, बेरहम बेशरम, फिर भी ये मुझे ही कहती है। ~रबी [ Whenever you get out of home, shyness, My hearts skips a beat, it’s not fearless, But what can I say about this world, careless, It still considers me as the one, the shameless. ]

January 4, 2013  · #110

All Over Again

What I do daily is not work, it’s a self inflicted war with self, Between the part which is lazy and the part gone insane, Let me lick my wounds tonight and take some rest, ‘cause tomorrow morning it starts all over again! ~RavS

January 3, 2013  · #109

मौत

बेमौत की मौत, ये मौत आई है मुझे, जो मौत के काबिल हैं, ना मौत आई है उन्हें। जब मौत को चिल्लाती थी, ना मौत आई तब मुझे, अब ज़िन्दगी को लड़ने लगी, तो मौत आई है बेवजह। और मौत आई भी, तो देखो मौत आई किस समय, जब माँ भी कहने लगी कि बेटी, ना मौत आएगी तुझे। खैर, मौत तो आनी ही थी, मलाल मौत का नहीं है, बस बेमौत की मौत, ये मौत आई है मुझे। ...

December 29, 2012  · #108

मुझसे अच्छा दोस्त

दोस्ती फ़क़त इस हद तक निभानी है मुझे, मुझसे अच्छा दोस्त, तू किसी और को साबित ना कर सके। और अगर कर भी जाए तू ये गुस्ताखी, तेरे ‘सच’ पर किसी को यकीं ना हो सके। ~रबी [ I want to take my friendship only till that limit, A friend better than me, you won’t be able to prove. And if by chance, you try and do this sin, Nobody shall believe in your ’truth’. ] ...

December 14, 2012  · #107