तेरी आगोश में सोने को मन होता है,
तुझसे लिपट कर कुछ कहने को मन होता है,
तेरी आँखों में आँखें डाल कर,
तेरी उँगलियों में उंगलियां कसा कर,
तुझे गौर से देखने को मन होता है।

जो सीने में मेरे जल रही है अर्सों से,
वो आग तुझसे भिगोने को मन होता है,
लगता है गरम चाशनी सा,
तेरा बदन छूने को मन होता है।
तेरे होटों से निकली उजली भाप में,
आँखें सेंक लेने को मन होता है।

दामन तेरा, तुझसे छीनकर,
ओढ़ लेने को मन होता है।
किसी सन्नाटे में मिल जाए कभी, एक बार,
तुझमे मिल जाने को मन होता है,
तुझे चख लेने को मन होता है,
तुझे अपना कर लेने को मन होता है।

ऐ मौत, अब आ भी जा…
और कितना करूँ इंतज़ार तेरा,
उतना किसी से नहीं हुआ मुझे कभी,
जितना तुझसे मिलने को मन होता है।

~रबी

[ I want to sleep in your arms,
I want to cling to you and say something,
I want to look you in your eyes,
Put my fingers in your fingers tight,
I want to observe you carefully.

The one which is burning in my chest,
I want to soak that fire with you,
Looks like a hot sweet syrup,
I want to touch your body.
From the warm steam coming out of your mouth,
I want to relax my eyes.

I want to snatch your scarf from you,
And wrap it over myself.
I wish I find you somewhere in silence, once,
I want to dissolve in you,
I want to taste you,
I want to make you mine forever.

O Death, please come now …
How much more should I wait for you,
I never felt this for anyone else,
The way I want to meet you. ]