वहशियत तो ना कम कभी हुई है, ना कभी होगी।
सुकून तो है वहां पे, पर ज़िन्दगी तो यहीं इंतज़ार कर रही।
दर्द जो तुम्हें है, है तकलीफ मुझे भी।
तुम्हें ज़िल्लत सहने का, मुझे वादा ना निभा पाने की।
डर है तुम गुमनामी के अंधेरों ना खो जाओ कहीं ,
और मैं नहीं ढूँढ पाऊँगा तुमको सूरज की रौशनी में भी।
चाहता तो बहुत था बनना, पर मैं इंसान हूँ तुम्हारा खुदा नहीं।
पर मैं साथ रहूँगा जितना भी उसने मुझे ताकत है दी।
कसम है मुझे मेरी खुशियों की, जो तुम्हारे काम आने में कहीं कोई कमी रह गयी ,
तो मान जाओ, खुद के लिए नहीं तो मेरे लिए ही सही।

लौट आओ … लौट आओ … दिल से कह रहा हूँ।

~रबी

[ The cruelty was always there and it will continue to be.
Yes, you have found peace there, but life is waiting here only.
If you are in pain, I am also in agony.
You are enduring the shame, broken promises is what makes me guilty.
I am afraid you might get lost somewhere in the shadows of oblivion,
And I won’t be able to find you, even under the brightness of the sun.
I so wanted to be, but I am only human not your God.
But I’ll stick with you, with whatever strength I have got.
I swear on my happiness, if I lack in my efforts to help you,
So please agree, if not for yourself, at least for me.

Come back… Please come back … I really mean it. ]