मेरे यार
ऐ मेरे यार, कहाँ गया तू, कौन गाँव किस देश, आ देख तुझ बिन क्या हालत मेरी, देख कैसा हुआ मेरा भेष। देख अब सुबह ने भी उठना छोड़ दिया, देख शाम भी बैठी रहती है गम सुम, देख आहटें भी वीरान पड़ी हैं, देख सरगोशियाँ भी रहती हैं चुप चुप। लौट आ, याद। याद तेरी बहुत सी आती है, पत्थर ऑंखें भी, जिनमे डूब। डूब पिघल सी जाती हैं …. ...