ख्वाब

कुछ तो ऐसा रखते हो निगाहों में छुपाकर, जिसका इल्म हमको नहीं लगता है। की जिस भी ख्वाब पर तुम्हारी निगाहें पड़ जाती हैं, वो ख्वाब खुद को मुकम्मल समझने लगता है। ~रबी [ You definitely keep something hidden in your eyes, That we don’t come to know about, That whichever dream you fix your eyes upon, That dream starts to think yourself as complete. ]

July 29, 2014  · #233

एक इश्क़

ऐ इश्क़ ये कैसा तेरा इश्क़, क्यों घाव दिया यूँ गहरा इश्क़, मेरा तो इश्क़ ही मंदिर-मस्जिद था, अब कैसे कहूँ तू मेरा इश्क़। [ ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ऐ इश्क़। ] एक इश्क़ वो था जो तूने मुझसे किया, एक इश्क़ वो था जो मैं कर बैठा। एक इश्क़ ही था जिससे जीना सीखा, एक इश्क़ ही था जिससे मर बैठा। एक इश्क़ ने बनाया तिनका तिनका, एक इश्क़ ही सब तबाह कर बैठा। ...

July 25, 2014  · #229

मेरे यार

ऐ मेरे यार, कहाँ गया तू, कौन गाँव किस देश, आ देख तुझ बिन क्या हालत मेरी, देख कैसा हुआ मेरा भेष। देख अब सुबह ने भी उठना छोड़ दिया, देख शाम भी बैठी रहती है गम सुम, देख आहटें भी वीरान पड़ी हैं, देख सरगोशियाँ भी रहती हैं चुप चुप। लौट आ, याद। याद तेरी बहुत सी आती है, पत्थर ऑंखें भी, जिनमे डूब। डूब पिघल सी जाती हैं …. ...

July 24, 2014  · #228

आतिश

तुम करती थी इंतज़ार शरारों की छाँव में, मैं आतिशों की धूप में मुन्तज़िर रहता था। तुम ढूँढा करती थी मुझे शोर के समंदर में, मैं ख़ामोशी के दरिया में बहा करता था। मुझे तुम न मिली, मैं तुम्हे न मिल सका, सब कुछ छूट गया, बहुत कुछ मिलकर। जब गलतफहमी पलती रही यूँ दोपहर से रात भर, और कटती गई ज़िन्दगी पहर दो पहर। ~रबी [ You used to wait in the shades of sparks, I used to look for you under the sunshine. You used to search me in the sea of noise, I used to swim in the river of silence. ...

July 23, 2014  · #227

रियासत

दादा से सीखा तपते शरीर से भी दिन रात कैसे मेहनत लेते हैं, दादी से सीखा अपाहिज होकर भी परिवार पर कैसे बरकत करते हैं, बाप ने सिखाया कैसे अपनों की ख़ुशी के लिए खुद से बेपरवाह रहते हैं, माँ ने सिखाया कैसे थोड़े से में भी बिन कुछ बोले निर्वाह करते हैं। बस मुझे रियासत में यही मिला है, इससे ज्यादा की ऐ खुदा कोई चाहत भी नहीं … ...

July 22, 2014  · #226

ज़ाया

ना ही करे हमें कोई प्यार तो अच्छा है, प्यार करने वालों से हमें नफरत हो चली है। देखेंगे, फिरेंगे। कुछ दिन बात करेंगे। फिर खुद ही खुद को चाहने की फ़रियाद करेंगे। क्यों वक्त ज़ाया करना। अपना भी और औरों का भी। वो वक्त हम कुछ और ही फ़िज़ूल करने में बर्बाद करेंगे। ~रबी [ It’s better that no one loves me, I have anyway started hating the lovers. They would see. They would roam. They would talk for a while. Then one fine day, they would ask to love them. Why waste time. Mine and theirs. I could do something else useless, if only time has to be passed. ] ...

July 21, 2014  · #225

सितार

जो रोक दे वक्त को, कि एक लम्हा सांस ले सकूँ, जो थाम ले सांस को, कि हांफता दिल कुछ ले सके सुकूँ, बंद पड़ जाए धड़कने जिससे, कि कुछ तो मद्धम हो दौड़ता खून, क्या तुम सितार को ऐसा कोई साज दे सकते हो ? ~रबी [ Which can stop the time, so that I can take a moment to breath, Which can hold the breath, so that the breathless heart can get some peace, Which can make the heart stop beating, so that the blood can slow down at least, Can you strum such a note from your Sitar? ] ...

July 20, 2014  · #224

आस्तीन

[ कुछ समय पहले… ] रखते हैं तुम्हे आस्तीन में छुपाकर, पड़ न जाए कहीं फरिश्तों की नज़र, ले गए जो अगर तुम्हे हमसे छीनकर, कभी सोचा है क्या बीतेगी हम पर। [ कुछ समय बाद… ] नहीं था हमें कोई इल्म, ना थी ऐसी कोई खबर, नस नस में घोल दोगे तुम इतना जो जहर, तुम को हम छुपाते फिरे, दुनिया भर की नज़रों से, डस लिया तुमने हमको ही, आस्तीन का सांप बनकर। ...

July 19, 2014  · #223

गाथा

गाथा इस बात से नहीं बनती की तुम्हारे जीवन में क्या हुआ, गाथा इस बात से बनती है की तुमने जीवन में क्या किया। गाथा कोई इसलिए याद नहीं रखता की तुम्हें बस सुख ही सुख मिला, गाथा इसलिए याद रखी जाती है की तुमने दुखों पर फतह कैसे किया। गाथा बनानी ही है तो दूसरों की गाथा का हिस्सा बनो, तुम्हारी गाथा खुद-ब-खुद बन जायेगी। ~रबी [ The saga does not originate from what happened in your life, The saga originates from what you do in life. Nobody remembers the story in which you got so much happiness, The story is remembered as how did you triumph over the sufferings. If you really want to write your story, be a part of others’ saga, Your story will write itself automatically. ] ...

July 18, 2014  · #222

कश-म-कश

कौन रूप लूँ अपना, जो सच है या जो दिखावा है ? कौन सी बात कहूँ तुझसे, जो दिल में है या जो छलावा है ? ये जद्द-ओ-जेहद, ये कश-म-कश, मेरे लिए पहले मेरी खलिश है, या तेरा चैन पहले आता है… ~रबी [ Which form should I take, The one which’s true or the one which’s a sham? Which thing should I say, The one which’s in heart, or the one which’s a mirage? This struggle, this indecision, For me, does my pain come first, or your peace takes the first place…] ...

July 17, 2014  · #221