अब उतर भी आओ ज़मीं पर।
धरती पर जश्न होगा, हर कोई तब मग्न होगा, बजेगा मदहोशी का संगीत , खुद थिरकने का मन होगा… बंजर मिट्टी को बूँद मिलेगी, रुक गई बयार चल पड़ेगी, कुछ टहनियाँ उदास पड़ी हैं, तुम्हे देख फिर झूम उठेंगी… बस… अब उतर भी आओ ज़मीं पर। अब उतर भी आओ ज़मीं पर। रह गयी तुम्हारे बिना, कुछ पंक्तियाँ लफ़्ज़ों बिना, कुछ आँखें दीदार को, कुछ होंठ मुस्कुराये बिना… कुछ बैठे हैं आस में, तुमसे मिलने की ताक में, शायद मन्नत मिल ही जाय, कुछ ऐसे ही एहसास में… बस… अब उतर भी आओ ज़मीं पर। अब उतर भी आओ ज़मीं पर। ...