सुबह तेरी आवाज से शरू होती थी

सुबह तेरी आवाज से शरू होती थी , रात ढलती थी तेरे नाम से … बहुत कोशिश की, तुझे जेहन से निकालने की, तुम फिर भी आ जाते थे सपनो में कितने आराम से। तुम्हे क्या पता कितनी रातें हमने जाग कर गुजारी हैं, तुम्हे क्या पता कितने आंसूं हमने छिपकर हैं बहाए, तुम्हे तो लगता होगा तकलीफें सिर्फ तुम्ही को मिली हैं , तुम्हें क्या पता कितनी तकलीफ हम अपने अन्दर हैं दबाये। ...

October 5, 2014  · #255

मैं फिर भी ठीक हूँ

ज़िन्दगी ऐसा लगता है ठहर सी गयी गई है, मैं आगे निकल गया वो पीछे कहीं रह गयी है , बहुत कोशिश की, कि ज़िन्दगी से मुलाकात तो हो, पर ज़िन्दगी तो लगता है जैसे मर सी गयी है। इश्तेहार दिया, ज़िन्दगी जहां भी हो लौट आओ, पर ज़िन्दगी है की ना ज़िंदा ना मुर्दा मिलती है। पर मैं फिर भी ठीक हूँ। ऐसा नहीं है की मैं हँसता नहीं हूँ, ऐसा नहीं है की मैं खुश रहता नहीं हूँ, रोज सुबह ज़िंदा उठता तो मैं अब भी हूँ, रोज अपने आप से ही हार जाना दुखता तो है, फिर भी हर शाम खुद से लड़ता तो मैं अब भी हूँ, खुद से नाराज, रब से नाराज, सब से नाराज हूँ। पर मैं फिर भी ठीक हूँ। ...

October 4, 2014  · #254

मोहब्बत

मैंने कहा खुदा से तूने सबको दी , थोड़ी मोहब्बत मेरे हिस्से भी लिख दे। खुदा ने कहा तू बदनसीब है रबी , मोहब्बत तेरे मुकद्दर में नहीं। लोग चोट खाते हैं अक्सर इश्क में, तुझे इश्क ही चोट देता रहेगा। मत चाहना किसी को, भूल कर भी , जिसे चाहेगा, वो तुझसे दूर ही रहेगा। न कर मोहब्बत किसी से, वर्ना समझ ले , मोहब्बत तेरे पास तो रहेगी, पर तुझे कभी मिल न सकेगी। ...

October 2, 2014  · #253

तुम्हे ज़न्नत ले चलूँ

मुझे परवाह नहीं कोई मुझ पर लिखे , मैं मुन्तजिर हूँ उसका जिस पर मैं लिख सकूं, जिसपे हक हो मेरा, सिर्फ मेरा, कोई और नहीं, वो शायरी बने तो मैं खुद को शायर कह सकूं। कश्तियाँ आती तो बहुत हैं, लेकिन कोई रूकती नहीं, मैं फिर भी साहिलों के किनारे बैठा रहता हूँ। इस उम्मीद में कि कोई तो रुकेगा, कभी, कहेगा, चलो… तुम्हे ज़न्नत ले चलूँ। ~रबी [ I do not care if someone writes for me, I await the one for whom I can write, Who is rightfully mine, only mine, no one else’s, If she becomes the ​​poetry, I can call myself poet. ...

October 1, 2014  · #252

कहो तुम पर क्या लिखूं ?

ये जो तुम रोज रोज कहा करती हो, हमारे लिए भी कुछ लिखा करो। तुम्हे पता है कितना मुश्किल होता है, जब इस बात का ही कुछ पता न हो, की किस किस अदा पर लिखूं, किस किस बात को रहने दूँ। चलो ठीक है, बोलो कहाँ से शुरू करूँ ? क्या इन बालों को किसी नागिन की अंगड़ाई कह दूँ ? या इन्हे किसी दिल-फैंक शायर की स्याही कह दूँ ? अहह… हद है। ऐसा भी कोई कहता है भला ? काली रात से बालों को देखकर, मुंह से कुछ और कभी निकलता है भला ? ...

September 28, 2014  · #251

मुस्कुराने (Reprise)

तुम हाँ कहो न कहो, तुम ना भी मत कहना, जैसे भी हो भोले भाले, वैसे ही रहना। मुस्कुराने की वजह तुम हो, गुनगुनाने की वजह तुम हो। जिया जाए न जाए न जाए ना , ओ रे पिया रे। एक बार तो कहो, छीन लायेंगे हम, रूखा सूखा जैसे भी हो, खा ही लेंगे संग। [ एक बार तो कहो, छीन लायेंगे तुम्हे, रूखा ही हो, सूखा ही हो, खिला तो देंगे तुम्हें। ] जिया जाए न जाए न जाए ना, ओ रे पिया रे। ...

September 24, 2014  · #250

सांस एक आखिरी

जब रह जायेगी सांस एक आखिरी, आधी तुझे दूंगा, आधी खुद रख लूंगा, डर लगे तुझे सोते हुए तो, नींद अपनी भी दे दिया करूँगा। मुश्किलें आएँगी तो हाथ पकड़ लेना, हर मुश्किलों से मेहफ़ूज़ तुझे रखूँगा। ढूंढना नहीं पड़ेगा कभी, जब जब पलकें उठेंगी, तेरे सामने ही मिलूंगा। चाहे खुद को गिरवी रख सही, तेरी हर ख्वाइश मैं पूरी करूँगा। बस न जाना छोड़ कर, सच कहता हूँ इस बार, तुझे तुझसे छीन लूंगा , नोच डालूँगा तुझे हर कतरा कतरा, या मार ही दूंगा, या खुद मर मिटूँगा। ...

September 21, 2014  · #249

बेगैरत यादें

मैं चुरा लाया था उसे अपने साथ बहुत दूर तलक, सोचा था उसे उसकी यादों से बचा लूंगा, मुझे क्या पता था बेगैरत यादें अपनी जेब में रख कर निकला था। ~रबी [ I stole her and took her very far away with me, I thought I would save her from her memories, I didn’t know the heedless had kept her memories in her pocket when she started. ]

September 17, 2014  · #248

हंस के दो गल्लाँ

जे ओ भुल्ले साड्डा जन्मदिन कदी भुल्ल के वि, लोकी उदास हो जांदे ने, ऐत्थे कदी कोई कर लेन्दा हंस के दो गल्लाँ वि, अस्सी ओउनु ही जन्मदिन सुम्मझ मना लेन्दे ने। ~रबी [ Even if they forget my birthday by mistake, people feel guilty and sad, And here, if someone smiles and talks to me for a while, I celebreate that as my birthday. ] ## Thanks office team for doing this. Means a lot. :) ## ...

September 12, 2014  · #247

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी

तुझे कभी डर लगे जो अगर, हम छोड़ जाएंगे, कभी देना आवाज जोर से, फिर लौट आएंगे, मैं अक्सर वादा निभा पाता तो नहीं , फिर भी तुझसे चलो ये वादा रहा। तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं। तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं … तुझे क्या लगा हम जो गए, तुझे भूल जाएंगे , ऐसा तो नहीं मेरे न रहने से, नाते टूट जाएंगे, ऐसी प्यारी चीज को भी भला, कोई भूला करता है ? बोलो! तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं। तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं … ...

September 11, 2014  · #246