चाशनी  सी, गीली  हंसी

उसके क़दमों से होकर राहें निकला करती थीं , उसकी आँखों को छूकर रौशनी दिखा करती थी , उसकी साँसों में घुलकर खुशबू बहा करती थी , उसकी ऊँगली पकड़कर खुशियाँ चला करती थीं। ऐ खुदा, वो समा, फिर ज़रा, ले आइये। मुझे उसकी, चाशनी सी, गीली हंसी, फिर चाहिए। उसकी लटों में घुसके, ओस नहा लेती थी , उसके कानों में हौले से, लोरियाँ गा लेती थीं , उसके आँचल के तले शाम रहा करती थी। उसके आँचल के नीचे ही नींद सोया करती थी। ऐ खुदा, सुन ज़रा, मेरी फरमाइश ये , मुझे उसकी, चाशनी सी, गीली हंसी, फिर चाहिए। ...

February 17, 2015  · #315

तुझ पर  हक़  है  मेरा

[ तुझ पर हक़ है मेरा , पर जताऊं कैसे। मैं जताऊं कैसे। करता हूँ प्यार तुझसे , पर दिखाऊं कैसे। मैं दिखाऊं कैसे… ] तू ही छुपा सकता है मुझे अंधेरो में खो जाने से। तू ही बचा सकता है मुझे , गर्त में गिर जाने से , तू ही ले जा सकता है मुझे , दूर दुश्मन जमाने से। जमाने से… तूने अकेला जो छोड़ा हमें , तन्हां मर ही जाएंगे। तू जिस पल हुआ जुदा हमसे , वो लम्हा कैसे बिताएंगे। मत जाना इतना दूर हमसे , की वापस ला भी ना पाएंगे। ला ना पाएंगे… ...

January 17, 2015  · #313

तबाह तो होगा कोई

तबाह तो होगा कोई, जो तू ज़िन्दगी में आई है, दुनिया फना होगी, या बर्बाद रहूँगा मैं, ये आगाह होना बाकी है। ~रबी [ Somebody would get destroyed, Now that you have you come in life, Whether the world gets ruined, Or I get devastated, Is something still to be determined. ]

January 6, 2015  · #309

रश्क़

बहुत आरज़ू लेके आया था मैं उसकी गलियों में, उसने दीद की भी जेहमत न होने दी। अब क्या करूँगा मैं इश्क़ में डूबकर उसके, मुझे तो उसके रश्क़ में ही दफ़न कर दो। ~रबी [ I came in her lane with a lot of hopes, But she didn’t even let me have a look at her. Now, what will I do drowning in her love, Just let me get buried in her envy. ] ...

January 4, 2015  · #307

लौट आओ...

वहशियत तो ना कम कभी हुई है, ना कभी होगी। सुकून तो है वहां पे, पर ज़िन्दगी तो यहीं इंतज़ार कर रही। दर्द जो तुम्हें है, है तकलीफ मुझे भी। तुम्हें ज़िल्लत सहने का, मुझे वादा ना निभा पाने की। डर है तुम गुमनामी के अंधेरों ना खो जाओ कहीं , और मैं नहीं ढूँढ पाऊँगा तुमको सूरज की रौशनी में भी। चाहता तो बहुत था बनना, पर मैं इंसान हूँ तुम्हारा खुदा नहीं। पर मैं साथ रहूँगा जितना भी उसने मुझे ताकत है दी। कसम है मुझे मेरी खुशियों की, जो तुम्हारे काम आने में कहीं कोई कमी रह गयी , तो मान जाओ, खुद के लिए नहीं तो मेरे लिए ही सही। ...

December 25, 2014  · #302

कैसे मैं हँसाऊं तुम्हें

बिन छुए, बिन कुछ कहे , दूर बहुत दूर तुमसे बैठे , कैसे मैं हँसाऊं तुम्हें। बिना तुम्हें गुस्सा किये , बिना तुम्हें दर्द दिए , कैसे अपनी बेबसी का एहसास कराऊँ तुम्हें। तुम्हारी हर छोटी छोटी बात याद है मुझे , तुम्हारी आँखों से गिरा हर कतरा जेहेन में अब तक साफ़ है मेरे , पर कैसे मैं दिखाऊं तुम्हें। ये शर्मिंदगी, ये लाचारी , ये गुस्सा, ये उदासी , ये सब दिखावा तो नहीं। मुझे सच में बहुत लगता है , जब तुम्हें ठेस है लगती। अब कैसे विश्वास दिलाऊँ तुम्हें। ...

December 23, 2014  · #300

नन्ही सी

नन्ही सी तो हो तुम मेरे सामने, पर मैं इतना भी बड़ा नहीं, की तुम मुझे ओढ़ कर, दुनिया से खुद को बचा लोगी। ~रबी [ You are so tiny, my baby, but I am not that huge even, that you can wrap me around, and save yourself from the world. ]

December 21, 2014  · #298

नींद भरी आँखें

रोने को ना आंसूं दिए, ना कांधा दिया तुमने , मैं सो नहीं पाता हूँ अक्सर, बस अपनी नींद भरी आँखें दे दे। पूछो ना भगवान से अपने, मुझे मेरी खता तो बता दे , जिन्हे मैं थोड़ा सा चाहने लगता हूँ, भगवान को बस उन्ही से क्यों दिक्कत हो जाती है। उन्हें पता है मुझसे अपनों की तकलीफ बर्दाश्त नहीं होती, फिर बस उन्हें ही क्यों दर्द देते। मेरे बदले माफ़ी मांग लेना ना दोस्त, मेरी तो वो माफ़ी भी नहीं सुनते … रोने को ना आंसूं दिए, ना कांधा दिया तुमने , मैं सो नहीं पाता हूँ अक्सर, बस अपनी नींद भरी आँखें दे दे। ...

December 19, 2014  · #296

नहीं आता

लोग पूछते हैं आज कल तेरा संदेशा नहीं आता, क्या करूँ उस बिन लिखूं क्या समझ नहीं आता। कुछ लिख लेता था उसे सोच-सोच कर पहले तो, अब तो उसे याद कर भी दिल में कोई ख़याल नहीं आता। जो लिखने लगता था, कहीं का शुरू कहीं निकल जाता, उसे सामने बैठा, खुद उसका अक्स-इ-बयाँ बन जाता। आज भी उन बेनाम नज़्मों से उसकी खुशबू आती है, पर उन्हें आँखों से लगाने का जज़्बात अब फिलहाल नहीं आता। ...

December 3, 2014  · #286

डर

डर इस बात का नहीं कि हमें डर लगता है, डर है तो बस कि कहीं हम डरना ना छोड़ दें। डर लगता है अंदर जो सुलगती आग है, डर लगता है कहीं और ना भड़क उठे। खुद घुट कर मर जाएँ तो ज्यादा रंज नहीं, डर लगता है कहीं दुनिया को राख ना कर बैठें। ~रबी [ I don’t fear that I am afraid, I fear that I might stop being afraid. I fear the fire that’s smoldering inside, I fear it might get erupted. I won’t regret if I die choking of it, I fear I might end up burning the world with it. ] ...

December 2, 2014  · #285