आशियां

मैं कल शाम एक मकां देख आया, आसमां पे अपना जहां देख आया। जैसा तुमने कहा था, कुछ वैसा ही था, थोड़ा सा धुआं, कुछ धुंधला ही था। वहां दिन भी था, और थी रात भी, तुम्हारी खुशबू भी थी, बस तुम नहीं। अगली बार चलना, दिखाऊंगा तुम्हें, मैं तुम्हारे ख्वाब कहां देख आया। खरीद लूंगा, `गर पसंद आ जाए तुम्हें, तुम्हारे रहने का जो आशियां देख आया। ...

September 9, 2017  · #363

खुशगवार से चेहरे

ना उड़ाओ हँसी मौत की भरी महफ़िल में यारों, ये खुशगवार से चेहरे, ना जाने कितने करीबी हैं। ~रबी [ Do not make fun of death in front of everyone, friends, You never know these happy faces might be so close to it. ] ## Just saying we never know what the other person might be suffering from. So gotta be careful about saying something that may offend them. ##

May 2, 2017  · #361

मोहल्ला

जान देके भी मुकम्मल कहाँ रबी। इंतेक़ाल पे भी मोहल्ला गिला करता है, जनाजे की इतिल्ला पहले से ना थी। ~रबी [ What’s the use of even giving life, When even after death the society is going to crib, they should have been informed earlier about the funeral. ] ## Society is Society. No point in crying about it. ##

April 11, 2017  · #360

थोड़ी जगह

ना बिछाओ इतने गलीचे, ना रखो इतनी कुर्सियां मेरे आँगन में। थोड़ी जगह मुझे घर में प्यार का गुलिस्ताँ उगाने को भी चाहिए। ~रबी [ Do not put so many carpets and chairs in my lawn, I want to grow a little bit of love in the house. ]

March 26, 2017  · #359

बड़ी  ख़ामोशी  से

बड़ी ख़ामोशी से मैं तुझे प्यार करता था , ना धड़कनें जानती थीं, ना दिल को पता था। हाँ इतनी ख़ामोशी से मैं तुझे प्यार करता था , ना धड़कनें जानती थीं, ना दिल को पता था। पता है, जब मैं और कलम अकेले होते थे , अक्सर तेरे बातें ही किया करते थे। तुझे याद करते कलेजा भर आता था , जो मैं कह नहीं पाता था पन्नो पे , वो पगला यूँ ही गुदगुदा जाता था। कलम की सुगबुगाहट पन्ने बता ना दें कहीं, कुछ ख्याल इसीलिए दबा के रखता था। ना धड़कनें जानती थीं, ना दिल को पता था। ...

February 17, 2017  · #358

मिनी  गुड़िया

लोरी नहीं आती गुड़िया मुझे, पर यूँही गोदी में सोया करना। अच्छा कुछ कहूँ कान में , पर मम्मा से मत शेयर करना। तू रोयेगी तो सारी रात जगूँगा, तू मुस्कुराएगी तो मैं साथ हसूँगा, खिलोने कि तरह तेरे साथ खेलूँगा, मम्मा से भी ज्यादा तुझे प्यार करूँगा। तेरे पहले कदम पे तेरा हाथ पकडूँगा, ना जाने कब यकीन ये बात करूँगा। मेरी प्यारी मिनी गुड़िया , क्या तू सच में है आयी ?…. समेट ना सकूँ इतनी खुशियाँ , क्या तू सच में है लायी ?… ...

January 7, 2017  · #356

मायशा

कहने को तो जिस चिराग से उजेरा था, कहने को तो उसी चिराग तले अँधेरा था। जिससे उम्मीद लगाए बैठे थे हम दोनों ही, कहने को तो ना वो तेरा ना मेरा था। सुनी है मुसाफिरों से अफवाह ये उड़ते-उड़ते, वो मायशा दिखी थी उन्हें शायद कहीं चलते-चलते, जो चहक के कभी आँगन में उड़ आती थी, उस चिड़िया का अब कहीं और ही बसेरा था। चल पड़ें या यूँ ही बैठे रहे उसके इंतज़ार में, जो छोड़ गया मुझे बे-रस्ता अपने ऐतबार पे। गम-ए-हिज़्र ना कर रबी, बस ये रात निकल जाने दे, पिछली मर्तबा स्याह रात के बाद ही हसीं सवेरा था। ...

December 13, 2016  · #355

आप-बीती

मैं कौन था, अब क्या हो गया हूँ। अपने अक्स में अक्सर, अतीत ढूंढता हूँ। एक आह है अंदर घुटी सी, एक चाह दिल में कुछ दबी सी। चला जा रहा हूँ कहाँ, मुझको जाना है कहाँ, कहाँ छोड़ आये तुम मुझे, ये ज़िन्दगी देके, खुदखुशी सी। कहते हैं वो कुछ लोग, मैं बदल गया हूँ। कुछ कागज़ी टुकड़ो पे, रूह बेच उठा हूँ। वो ना समझेंगे कभी, आलम -ए -दिल -ए-बेताबियाँ मेरी। करें किस्से फ़रियाद मगर, करें कैसे फ़रियाद मगर, रुस्वा रहती है अब जो, मुझसे मेरी शायरी भी। ...

December 11, 2016  · #354

मृगतृष्णा

ज्ञात है यथार्थ नहीं, एक मृगतृष्णा है, फिर भी ये स्वप्न सत्य कर ही जगना है। ~रबी [ I know it’s not reality, it’s a mirage, Still I’ll wake up only after making this dream true. ]

November 2, 2016  · #353

औकात

तू है, तो जो है, कर जा। वर्ना खैर कोई बात नहीं। तेरी खिलाफत कर कुछ कर गुज़रने की, वैसे भी मेरी कोई औकात नहीं। ~रबी [ If you are there, then whatever it is, you do it. Otherwise, it’s alright. To go against you and do something, I anyway don’t have that stature, in me. ]

May 2, 2016  · #349