अफ़सोस
जब जब तुझसे मिलता हूँ, तो अफ़सोस होता है, कि तुझसे पहले क्यों ना मिला। और दुःख इस बात का, कि शायद फिर तुझसे कभी ना मिल पाऊंगा … ~रबी [ Whenever I meet you, I regret, not meeting you before, And I fear, may be I won’t meet you ever again…]
जब जब तुझसे मिलता हूँ, तो अफ़सोस होता है, कि तुझसे पहले क्यों ना मिला। और दुःख इस बात का, कि शायद फिर तुझसे कभी ना मिल पाऊंगा … ~रबी [ Whenever I meet you, I regret, not meeting you before, And I fear, may be I won’t meet you ever again…]
तू ना हो सामने तो बेचैनी इस कदर बढ़ जाती है, सोते हुए जाग जाता हूँ, जागूँ तो नींद नहीं आती है। और ऐसी कमबख्त हमारी किस्मत भी कहाँ, कि तू सपनों में आये, अब तो बस यही सपना है कि मैं जिंदगी भर सोता ही रहूँ, जो तू एक बार सपने में दिख जाए। काश जैसा फिल्मों में होता है, तुझे देखते ही ये वक्त थम सा जाता, कुछ पल ही और सही, तुझे आँखों में भरने का वक्त मिल पाता। और ये भी सही पागलपन है, के तेरी हँसी देख पता चलता है कि जिंदगी भी कितनी हसीं है। वर्ना हमें तो बस यही लगता है कि जीते रहो, ये बस जीने के लिए ही बनीं है। ...
क्या तूने कहा किसे खबर किसे मालूम, मैं तो तेरी आवाज़ ही सुनता रह गया… ~रबी [ What you said, who knows, who can tell? I was just listening to your voice… ]
क्यूँ पूछते हो मुझसे तुम ? वही सवाल बार बार। बस थोडा थक गया हूँ, नहीं मानी है पूरी हार। कल तक कहा ‘चैम्प’ मुझे, अब कहते हो, हूँ मैं बेकार। अब तकल्लुफ बस करो, मत पूछो ये मुझसे यार। लो मैं ये खुद कहता हूँ, हाँ ! हाँ ! हूँ मैं ‘बेरोज़गार’ ! –कात्यायन पाण्डेय “घायल” ~रबी [ Why do you keep asking me? The same question over and over. ...
जितना चाहे पढ़ लो इसे, मगर पूछती ऐसे सवाल है, जिनका होता नहीं जवाब है, बिना इंडेक्स की थकेली किताब है, ज़िंदगी भी सही मजाक है। जब छोटा था तो बड़े होने की जल्दी थी, अब बड़ा हूँ, तो बचपन याद आता है, वो टाइम मशीन बनाने वालोँ का क्या हिसाब है? ज़िंदगी भी सही मजाक है। जब चीटिंग करो तो पकड़े जाओ, जब चीटिंग ना करो तो भी पकड़े जाओ, भैंस की आँख, अपनी तो तो किस्मत ही खराब है, ज़िंदगी भी सही मजाक है। ...