मीठा

शिकायत उन्हें ये रहती है , कि हम उनसे बहुत कम मिलते हैं , ना ज़्यादा उनकी सुनते ही हैं। वो ये मगर समझ पाते नहीं , हमें बहुत ज्यादा मीठा देखने - सुनने की आदत नहीं … ~रबी [ She complaints, that I seldom see her, Nor do I listen to her frequently. But she is not able to understand, That I am not used to seeing and hearing that much sweetness together… ] ...

February 8, 2012  · #31

कल  भी  आ  ही  जाएगा

कल - कल करके बहुत जी लिए , चलो आज , आज की बात करते हैं , कल का क्या है , कल तो कल आया था, कल भी आ ही जाएगा … ~रबी [ Enough of living in the hope of ‘someday’, Today, let’s talk about today, What’s there in ‘someday’, Someday came yesterday, it’s gonna come tomorrow as well. ]

February 7, 2012  · #30

तुझे जगाने का मन नहीं करता...

सर रक्खा है मेरे कांधे पर, जाना था कहीं, पर तुझे जगाने का मन नहीं करता। सहा नहीं जाता, इतना सुकूं है तेरे चेहरे पर, पर इसे हटाने का मन नहीं करता। तेरे जुल्फें खेलती हैं मेरे गालों से, हारना है पसंद, पर इन्हें हराने का मन नहीं करता। दुआ है रब से, ये पल कभी खत्म ना हो, इस पल से आगे जाने का मन नहीं करता। अब ऐसा होना तो मुमकिन नहीं, की हर बार मेरा कंधा तेरा तकिया बन सके, पर ऐसा ना चाहने का भी मन नहीं करता। ...

February 4, 2012  · #29

बिखरी-बिखरी

बिखरी-बिखरी सी थी ज़िन्दगी मेरी , तुम जो आये तो लगा ये संवर सी गयी। अकेली समझ डराती-धमकाती थी लोगों की नज़रें , तुम्हें देख मेरे साथ , वो भी सिहर सी गयीं। बुझी - बुझी मुरझाई सी थी काया जिसकी , तुम्हारे हाथों में पड़ वो भी निखर सी गयी। शिकायत हमें बस तुमसे थी इतनी सी, तुम्हें ज़िन्दगी में आने में सालों लग गए, पर तुम्हारे जाते हुए क़दमों में एक पल की हिचक ना थी। ...

February 2, 2012  · #28

मज़ाक

सच कहता हूँ दोस्त , हँसी तो बहुत आती है , तेरी लिखी एक-एक बात पर। मैं दुआ करता हूँ , मेरे अलावा भी कोई हँस दिया करे , झूठा ही सही , तेरी इन करामात पर। तेरी हस्ती कोई मामूली नहीं , गर्व होता है हर पल , खुदा की ऐसी क़ायनात पर। खैर ऐसे ओछे मज़ाक करने की ज़रूरत नहीं , कुछ अपने बारे में ही लिख दिया कर। क्योंकि तेरी ज़िन्दगी खुद ही लगती है, एक छोटा सा मज़ाक भर ! ...

January 31, 2012  · #27

प्यार  और  डर

किसी ने मुझसे कहा था कभी , इस दिल में प्यार और डर दोनों एक साथ नहीं रह सकते। तो करते हैं प्यार तुमसे अब उतना ही , जितना पहले तुमसे डरा करते थे। ~रबी [ Somebody someday told me, Love and fear can’t co-exist in this heart, So now I love you to the same extent, The extent to which I used to fear you. ]

January 30, 2012  · #26

समझ  पातीं

तुम्हें जो बताने की चाहत थी , काश तुम मेरी वो बात समझ पातीं। अलफ़ाज़ तो वो ही हैं सीधे से, जो तुमने पढ़े अभी-अभी , काश उनके पीछे की आवाज़ समझ पातीं। लिखा भी तुम्हारी बोली में ही था, बस बात बेबाक नहीं लिखी , काश मेरे लिखने का अंदाज़ समझ पातीं। ~रबी [ The ones I wanted to convey, I wish you could have understood those feelings, The words were simple, that you read just now, I wish you could have understood the voice behind them. ...

January 29, 2012  · #25

दग़ा

तुम्हें तो लगा होगा , तुमने ‘दोस्त’ पर दया की , मैं कहता हूँ, तुमने मेरी दोस्ती से ही दग़ा की। अरे अगर मारना ही था तो पूरा ही मार देते , मुझे अधमरा कर छोड़ने की जरूरत क्या थी ? ~रबी [ You would have thought, you did a favor to a ‘friend’, I say, you betrayed my friendship, If you wanted to kill me, then you should have killed me fully, why did you leave me half dead? ] ...

January 28, 2012  · #24

दिल  और  दिमाग

अब दिल की सुने, या दिमाग की, आखिर दिल और दिमाग दोनों ही अपने हैं, चलो इस बार दिल पर ही भरोसा करके देखते हैं, बात नहीं बनी, तो कह देंगे… दिल के पास दिमाग नहीं था। ~रबी [ Now should I listen to my heart or my brain, After all, heart and brain both are mine, Alright, let’s believe my heart this time, If it doesn’t turn out to be right, then we can always say… That heart didn’t have a brain to think! ] ...

January 27, 2012  · #23

... तो अच्छा लगता है

जब तुम मुंह बनाती हो, तो अच्छा लगता है। जब तुम मुस्कुराती हो, तो अच्छा लगता है। जब तुम खुद भूल जाती हो तो अच्छा लगता है। और फिर मुझे याद कराती हो तो अच्छा लगता है। जब तुम समझ नहीं पाती हो, तो अच्छा लगता है। क्योंकि तुम्हें समझाना भी तो अच्छा लगता है। जब पढ़ने में दिल लगाती हो, तो अच्छा लगता है। और कभी पढ़ते पढ़ते योंही सो जाती हो, तो अच्छा लगता है। ...

January 22, 2012  · #22