इतना भी बड़ा

तू एक बार हँस दे तो ये दुनिया मैं भुला दूँ … मैं इतना भी बड़ा बावड़ी नहीं हूँ ! ~रबी [ You laugh once and I forget this whole world… I am not that big an idiot! ]

May 21, 2012  · #64

नामुराद

वो तबाह कर गए हमें, हमारा आशियाना, हमारा शहर, फिर भी इस नामुराद दिल से उनके लिए सिर्फ दुआ ही निकलती है। ~रबी [ She destroyed me, my home, my city, Still only good wishes come out for her, from this damned heart. ]

May 19, 2012  · #63

आओ किसी दिन

आओ किसी दिन मेरे आँगन में तुम धूप बन कर, मेहको कभी मेरे बाग़ों में एक फूल बन कर, लहराओ किसी दिन मेरी छत पर तुम पतंग बन कर, बसो कभी मेरे दिल में एक उमंग बन कर, होने दो किसी दिन यकीन मुझे भी अपनी किस्मत पर, रखो कभी अपने कदमो को मेरी चौखट पर, क्या करूँ बहक जाता हूँ, तुम्हें देख कर, बता देना, कहीं मैंने कुछ ज़्यादा तो नहीं मांग लिया। ...

May 16, 2012  · #62

हसरत

हसरत है… चाहूँ मैं तुझे इतना कि … मुझे तेरी चाहत की कभी ज़रूरत ही ना पड़े। ~रबी [ I wish… that I love you so much that… I never need you to love me back. ]

May 10, 2012  · #61

क़तरा - क़तरा

रेशा - रेशा, क़तरा - क़तरा, महक उठे मेरा। कुछ इस तरह आज तुम मुझे गले लगा लो। ~रबी [ Every fiber, every strand of mine, engulfs in your fragrance, I need you to hug me today in that fashion. ]

May 6, 2012  · #60

बेशक  इल्म  हो  जाता

हँसता हूँ, खेलता हूँ, बातें बहुत सी करता हूँ, पर तुझसे रिश्ता क्या है, ये मालूम नहीं चल पाता। लेकिन जो भी है, इसे इश्क ना समझ लेना। अगर इश्क होता, मुझे ना सही, अब तक मेरे यारों को बेशक इल्म हो जाता। ~रबी [ I laugh, I play, I talk a lot with you, But I still don’t know what’s the relationship between us. Well, whatever it is, don’t consider it love. Had it been love, then if not me, My friends would have definitely found out about it. ] ...

April 29, 2012  · #59

रूह  तक  बेच  दी

अब तक बस हँसना ही आता था हर घड़ी , तुमने हर पल ग़म सहना सिखा दिया। अब तक पहुँचता था मंज़िल तक वक्त - बेवक्त कभी , तुमने मुश्तों इंतज़ार करना सिखा दिया। अब तक लगता था तुम हो बस प्यार के ही काबिल , तुमने तुमसे बेइन्तेहाँ नफरत करना भी सिखा दिया। मैंने तो रूह तक बेच दी थी तुम्हारे नाम से , बताओ मेहरुल तुमने मुझे क्या दिया ? ...

April 26, 2012  · #58

अँगूठा - छाप

ना कर दिन रात इतने एस.एम्.एस. बंदया। कहीं लोग तुझे अँगूठा - छाप ना समझ बैठें। ~रबी [ Don’t type so many SMS, day and night, Buddy! Otherwise people might think you are a thumb-stamper*!! (*One who doesn’t even know how to write.) ]

April 25, 2012  · #57

इतना भी क्यों तुम समझ नहीं पाती हो?

मैंने चाहा है तुम्हें माहरुख*, क्यों तुम मुझे इतना सताती हो? मेरी क्या है गलती, बता दो मुझे, मुझे क्यों तुम बेवजह रुलाती हो? काश खता पता होती मुझे अपनी, काश कोई बता पाता, आज कल क्यों तुम खफा-खफा नज़र आती हो? भुला दो जो भी गिला है मुझसे, मुझे सजा देने की फ़िराक में क्यों तुम खुद ही को जलाती हो? कल मैं ना रहूँगा तो मुझे याद कर रोया करोगी, तो आज क्यों नहीं तुम मुझे देख कर मुस्कुराती हो? ...

April 23, 2012  · #55

फैज़ाबादी

कौन सी दुनिया में जीते हो फैज़ाबादी ! क्या तुम्हें इतना भी नहीं पता ? अब प्यार^ मांगने से नहीं मिलता , छीनना पड़ता है। ~रबी [ In which world do you live, Oh Faizabadi! Don’t you know even this much? Now, you don’t ask for Love^, you need to snatch it. ^ also applies for jobs, treats, seat in metro, comments on posts, and all things good in life. ] ...

April 23, 2012  · #56