मैं कश्ती हूँ

मैं कश्ती हूँ, मैं बहूँगा, थोड़े जल की बस ज़रूरत है। मैं लफ्ज़ हूँ, मैं रहूँगा, चढ़ने की लबों पे ये कुव्वत है। जो देखे थे तूने सपने, वो ख़्वाब अब भी पाले हूँ। तेरी आँखों से गिरे कतरे, मैं अब भी उन्हें संभाले हूँ। मैं सुबह हूँ, मैं लौटूँगा, बस रात ढलने की ही देरी है। मैं आग हूँ, मैं देहकूँगा। चिंगारी लगने की बारी मेरी है। ये ज़ंजीर मुझको काटे हैं, मुझे इनसे तू कट जाने दे। मैं हल्का सा ही जी लूँगा, फिर चाहे पूरा मर जाने दे। ...

May 16, 2020  · #421

...हो जैसे

आज वो नहीं, कुछ अंदर-अंदर मरा हो जैसे। काश बह जाए, मुझमें एक समंदर भरा हो जैसे। वो चला गया बेवक़्त ऐसे ही एकदम से, तक़लीफ़ हो रही है, घाव बेहद हरा हो जैसे। आज आसमान देखने की चाहत नहीं रही, मेरा चहीता तारा टूटकर गिरा हो जैसे। कुछ लोग अपने होने से ही ख़ुशी देते हैं, छटपटाहट है, वो सुकून छिन गया हो जैसे। याद करने वाला मैं अकेला तो नहीं, फिर भी, परेशान हूँ, वो हमें भूल गया हो जैसे। मैं उसे जानता नहीं था, बस देखा था अक्स उसका, अक्सर याद करूँगा फिर भी, मेरा कोई अपना गया हो जैसे। ...

April 29, 2020  · #420

शाम

चलो तुम्हे एक बात बताता हूँ कल की, मेरे सपने में थी, एक शाम अजीब सी, जहाँ तुम्हे सुकून मिले मेरी ख़ामोशी से, और तुम्हारी साँसे महके, मुझे मदहोशी दे। वहां तू राह भी थी, हमराही भी, कितना भी दूर जाऊं, तेरे करीब रहता था, तू ख़ुशी भी थी, नसीब भी, इसलिए मैं खुद को खुशनसीब कहता था। पर गम ना कर अगर ये सपना ही था सच नहीं, तू दिन तो जीले शिद्दत से, आएगी ऐसी शाम भी, हर दिन सपनो सा लगे इस बात पर चलो ज़ोर दें, क्यों हसरत सजा बैठे रहें एक दिन के अंजाम की। ...

November 17, 2019  · #419

मेहरम

खुदको मेहरम कहने दे, तेरा साया बनके रहने दे। जो आग लगी है कलेजे में, इसे सींच ना, थोड़ा जलने दे। कुछ लोग नसीहत देते हैं, ना काबिल तेरे लिए, कहते हैं। क्यों रोके हैं उनका मुँह फिर तू, आज इस बात का इल्म भी करने दे। जिसे मेरे होने का अफ़सोस ना हो, ना जाने कब मिलेगा शख्स वो। उधारी सही, तू फकत सुकून तो दे, यहाँ बस नोचने वाले रेह्न्दे ने। ...

October 16, 2019  · #418

थोड़े  से  तुम  थे

थोड़े से तुम थे, थोड़े हम थे, थोड़ी खुशियाँ, थोड़े गम थे। दर्द ज़िन्दगी में तो ना कभी कम थे, पर वजह सहने की फिर भी, तुम सनम थे। थोड़े से तुम थे, थोड़े हम थे, थोड़ी खुशियाँ थोड़े गम थे। जो मैं तेरा हो ना सका, क्या मुझे हक़ है तुझे अपना कहने का ? ख्वाइशें जो मैं पूरी कर ना सका, क्या मुझे हक़ है कुछ माँग सकने का ? फिर क्या कहें और किसके दम पे , जो मेरे आँसूं तेरे गालों पे नम थे। थोड़े से तुम थे, थोड़े हम थे, थोड़ी खुशियाँ, थोड़े गम थे। ...

September 11, 2019  · #417

सुना है

सुना है बरबादियाँ ही मिलती हैं उसके आशिक़ों को वफ़ा में। तो चलो हम भी उसकी गली में चलके प्यार करते हैं। सुना है औरों की हंसी उड़ने से आती है हंसी उसे। तो चलो उसके मोहल्ले में खुद को सरे-बाज़ार करते हैं। सुना है जन्नत भी गुज़रती है उसके कदमो से होके। तो चलो उसके रस्ते में खुद को तार-तार करते हैं। सुना है, ग़मों का रुख तक नहीं देखा कभी उसने। तो चलो उसका रुख देख कर हम ख़ुशी इख़्तियार करते हैं। ...

August 19, 2019  · #416

इतना  प्यार  करना  मुझे

ना भी कर पाऊँ बात तुमसे किसी मोड़ पर , तुम मेरी खामोशियाँ तो पहचानती हो न ? कभी रोकना उन्हें, और पूछना उनको, क्यों खामोशियाँ मेरी यूँ बदहवास हैं। क्यों जुबान मेरी लावारिस सी, क्यों आवाज आज बेआवाज है। शायद मेरी खामोशियों में कहीं दबा मिल जाऊँ मैं तुम्हें … ना भी सो पाऊँ मैं कभी रात भर, तुम मेरी बेचैनियाँ तो समझती हो न ? अपने तकिये तले सुला लेना मेरी बेचैनियों को, अपना आँचल ओढ़ा करके रात में। थपकियाँ लगा देना उन्हें , हलकी-हलकी आवाज में। और सोके उठें तो करना जिरह उनसे , क्यों बेचैनियों को चैन नहीं आज है। शायद जो मैं खुद भी नहीं जानता, वो बेचैनियाँ बता जाएँ तुम्हें … ...

July 16, 2019  · #415

मेहुल

वो लफ्ज़ वो तराने, कागज पर लिखे गाने, तुझे हंसाने के बहाने कहीं संभाले हैं ना मेहुल। नाम तेरा सोंधा सा, मेरे होटों पर रुकता, जाते जाते लौट आता, क्यों है ना मेहुल। पानी में तेरी छपकियां, रात सोते मेरी थपकियां, लोरी सुनते सुनते झपकियां, याद आती हैं ना मेहुल। पुलिंदे अपनी तारीफ के, छत के किनारे बैठ के, हर शाम बंधवाना मुझसे, भुलाए नहीं हैं ना मेहुल। वह दिन चले गए, ना रही अब वो रातें, मैं बदल गया साथ मौसम के, तू मगर वही है ना मेहुल। ...

September 11, 2018  · #377

माँ  तुझे  मेरी  याद  तो  आएगी  ना ?

अपना आँचल मेरे सर से हटा कर, कंधे पर रखा ‘बोझ’ बता कर, किसी और को मेरा जिम्मा थमा कर, मुझे भूल तो नहीं जाएगी ना ? माँ तुझे मेरी याद तो आएगी ना ? क्यों बेटियां ही दूर जाती हैं माँ ? उम्र भर साथ नहीं रह सकती मैं, क्यों ना ? बदन तप रहा होगा, या होगा दर्द सर में, तू मुझे अब भी अपना हाल तो बताएगी ना? माँ तुझे मेरी याद तो आएगी ना ? ...

May 16, 2018  · #373

जब तुम आओगी

खुशियाँ तलाशते बहुत दुख दिए हैं तुम्हे, तुम्हारा आँचल भरूंगा अब इन्हीं खुशियों से। मैं जीना थोड़ा भूल सा गया हूँ, जब तुम आओगी न तो अब से जीने लगूँगा। कई रातें काट दी खुली आँखों मे, जगाये रखा मुझे तुम्हारे सपनों ने। तुम्हारे ना मिलने का डर सोने नही देता मुझे, जब तुम आओगी न तो चैन से सोया करूँगा। शिकायत तुम्हें फ़िज़ूल ही रहती है मुझसे, मैं अब भी वही हूँ, जैसा मिला था तुम्हें। सच है, मैं निकला नहीं एक अरसे से बारिश में, जब तुम आओगी न तो जी भरकर भीगा करूँगा। ...

April 30, 2018  · #372