पर तुम नहीं

यूं तो बरकत भी है और शोहरत भी, साथ कुदरत भी है, ‘उसकी’ मेहरत भी , यूं तो है चार पल की फुर्सत भी, पर तुम नहीं, पर तुम नहीं… यूं तो ज़िन्दगी भी है और साँसे भी, कहने को मंजिलें भी हैं और राहें भी, यूं तो बारिशें भी हैं और पनाहें भी , पर तुम नहीं, पर तुम नहीं… यूं तो ख़ुशी भी है और हंसी भी, दिकत्तों की नहीं कोई कमी भी, यूं तो मैं कल भी था यहीं, और आज भी, पर तुम नहीं, पर तुम नहीं… ...

January 18, 2013  · #112

खरीद ही लिया!

लब्ज़ गिरते हैं उनके लबों से, शहद टपके है जैसे होटों से। झिल्मिलातीं हैं आँखें उठती-झुकती पलकों से, जुगनू झांकें हैं जैसे झरोखों से। मचल पड़ती है बालियाँ कभी-कभी कानो में, पत्तें लेते हों करवटें जैसे आहट-ए-हवाओं से। बनते जाते हैं निशाँ गीली मिट्टी में कदमो के, कोरे कागज़ पे उडेलता हो कोई अफसाना सिहाइयों से। … और सबसे बढ़कर, इतराने की उनकी ये अदा, कसम से मेहरुल, आज तो तुमने बन्दे को खरीद ही लिया! ...

January 14, 2013  · #111

हया

बेबाक बेफिक्र सी जब हया तू निकलती है, बेधड़क बेवजह ही दिल से आह सी निकलती है, बेकदर बेरुखी, पर इस दुनिया से क्या कहिये, बेरहम बेशरम, फिर भी ये मुझे ही कहती है। ~रबी [ Whenever you get out of home, shyness, My hearts skips a beat, it’s not fearless, But what can I say about this world, careless, It still considers me as the one, the shameless. ]

January 4, 2013  · #110

मौत

बेमौत की मौत, ये मौत आई है मुझे, जो मौत के काबिल हैं, ना मौत आई है उन्हें। जब मौत को चिल्लाती थी, ना मौत आई तब मुझे, अब ज़िन्दगी को लड़ने लगी, तो मौत आई है बेवजह। और मौत आई भी, तो देखो मौत आई किस समय, जब माँ भी कहने लगी कि बेटी, ना मौत आएगी तुझे। खैर, मौत तो आनी ही थी, मलाल मौत का नहीं है, बस बेमौत की मौत, ये मौत आई है मुझे। ...

December 29, 2012  · #108

मुझसे अच्छा दोस्त

दोस्ती फ़क़त इस हद तक निभानी है मुझे, मुझसे अच्छा दोस्त, तू किसी और को साबित ना कर सके। और अगर कर भी जाए तू ये गुस्ताखी, तेरे ‘सच’ पर किसी को यकीं ना हो सके। ~रबी [ I want to take my friendship only till that limit, A friend better than me, you won’t be able to prove. And if by chance, you try and do this sin, Nobody shall believe in your ’truth’. ] ...

December 14, 2012  · #107

अंजाम

शुक्र मना जो तू मिलने से पहले बिछड़ गया, मिलकर बिछड़ने को कहता, तो अंजाम बहुत बुरा होता। ~रबी [ Praise the lord, that you got separated even before we met, If you would have asked for separation afterwards, consequences would have been very bad. ]

December 13, 2012  · #106

ज़मानत

तो क्या हुआ, जो तुम आज इतने बदल गए, तो क्या हुआ, जो तुम बहुत दूर निकल गए, मेरी यादों की सलाखें बहुत मजबूत है, परख़ लो, नामुमकिन है, जो तुम्हें यहाँ से ज़मानत मिल पाए। ~रबी [ So what, if you have changed a lot, So what, if you have gone so far, The bars of my memories are very strong, It’s impossible, that you can bail out from here. ] ...

December 11, 2012  · #105

कश पे कश

कश पे कश मैं लगाता गया… हर तकलीफ़, हर दर्द, धुंए में उड़ाता गया। “ये बस आख़िरी है”, कह -कहकर ख़ुद को समझाता गया, कुछ इस तरह एक और, फिर एक और मैं सुलगाता गया… धीरे धीरे अपनों को अपने से दूर मैं भगाता गया, एक तड़पाती मौत को करीब, और करीब, मैं बुलाता गया। पर एक बार मरना मंज़ूर, हर रोज़ मरना गंवारा ना गया, इसीलिए कश पे कश, कश पे कश मैं लगाता गया… ...

December 8, 2012  · #104

मनाओ दिवाली ऐसी

खाओ इतनी मिठाई, कि तुम्हें मधुमेह हो जाए। घर जाओ दूसरों के इतने, कि लोग भगाने लग जाएँ। चलाओ इतने पटाख़े, कि सारा मोहल्ला जल जाए। इस बार भैंस-की मनाओ दिवाली ऐसी, कि तुम्हारा दिवाला निकल जाए ! ~रबी [ Eat so many sweets, That you start suffering from diabetes. Go to others’ homes so many times, That they start kicking you out. Burst so many crackers, That whole neighborhood gets burned down. This time, swear-to-Buffalo, celebrate Diwali in such a way, That you become bankrupt in a day! ] ...

November 13, 2012  · #103

कुछ नहीं, मैं ठीक हूँ...

ना मिटा शिकन अपने चेहरे से, तेरी आँखें तेरा हाल-ए-बयाँ करती हैं। करते रहो पर्दा ऊपर के ज़ख्मो पर जितना भी, अन्दर लगी चोटें कहाँ छुपती हैं? होठों पर हँसी लाने की क्या ज़रुरत , पलकों पर जमी नमी साफ़ दिखती है। और उसपर ये कहना, “कुछ नहीं, मैं ठीक हूँ…”, ठीक न होने की हद और क्या हो सकती है? ~रबी [ Do not erase the uneasiness from your face, Your eyes are telling the whole story about your state. You can cover the wounds on your exterior, But how will you cover the internal bruises? ...

November 11, 2012  · #102