ए नूर
क्यों हैं मायूसी छाई , क्यों लाल हैं तेरी आँखें, क्यों है उदास तू, बस इतना बता दे मुझे। तेरी उदासी देख तड़पूँ ये भी कहाँ है सही, लेकिन कुछ पूछूं भी तो कैसे तुझसे कोई रिश्ता भी तो है नहीं। छुपा मत दर्द अपने आँचल से, एक एहसान तू कर मुझपे, तू खुशियाँ नहीं बाँट सकता मुझसे, अपने सारे गम ही मेरे कर दे। अजब है तू भी खुदा, की जिसे देख कर मैं मुस्कुराता था तूने उसे ही आज रुला दिया? जिसको देखने के लिए तरसतीं थीं आँखें मेरी, उसी की आँखों को आज भीगा दिया? ...