देहलीज़

मौत की देहलीज़ पर पहुँच कर याद आया मुझे, जो ज़िंदा पीछे छूट गए, अब उनसे मुलाकात ना होगी, ये देहलीज़ भी बेवफा ही लगती है बशर, जो पार बैठे हैं, उन्हें भी मेरी सूरत याद ना होगी। ~रबी [ When I reached the doorsteps of death, I remembered, Those who are left behind, I won’t be able to meet them anymore, And these doorsteps also seem disloyal to me, my friend, Those who are sitting across, they also won’t remember my face. ] ...

June 24, 2014  · #198

तहज़ीब

गलतफ़हमियों में तुम भी जीते हो, गलतफहमियों में हम भी पलते हैं, क्या आवाज उठायें, जो गर तुम हो गलत भी, जो हम खुद अक्सर गलतियां करते चलते हैं। बदतमीज़ी की नुमाइश करने वालों की दुनिया में फिर भी कमी नहीं, तहज़ीब को आहिस्ता से परोसने वाले कम ही मिलते हैं। ~रबी [ You also live in misunderstandings, We also thrive in misunderstandings, Why raise our voice, even if you are wrong, When we often make mistakes ourselves. Even then there is no shortage of those eager to exhibit their insolence, Dearth is of those who softly serve their mannerism. ] ...

June 23, 2014  · #197

गुन्छा कोई मेरे नाम कर दिया

गुन्छा कोई मेरे नाम कर दिया, साकी ने फिर से मेरा जाम भर दिया… लेते रहे नाम उनका रह रह कर, और वो हैं की हमको ही बदनाम कर दिया, गुन्छा कोई मेरे नाम कर दिया… महफिलें जो कहती थी मासूम हैं बहुत, एक हंसी भर से वहां क़त्ल-ए-आम कर दिया, साकी ने फिर से मेरा जाम भर दिया… ऐसे जले विरहा में उनके लिए, उस शमा ने हमको परवान कर दिया, गुन्छा कोई मेरे नाम कर दिया… ...

June 10, 2014  · #196

उन्हें क्यों कहता फिरूँ ?

पागल कहती है दुनिया मुझे, मैं उन्हें पागल कहता हूँ, सच का पता है मुझे और तुझे, तो फिर उन्हें क्यों कहता फिरूँ? दुनिया हंसती है मुझ पे, जो करता हूँ तारीफें तेरी, कहती है क्यों लिखता हूँ उस पे, जो किसी को दिखती ही नहीं, तू नहीं इस दुनिया की, ये दुनिया समझती नहीं, तो फिर क्यों उन्हें समझाने बैठूं ? काफ़िर कहती है दुनिया मुझे, मैं उन्हें काफ़िर कहते हूँ, रब का पता है मुझे और तुझे, तो फिर उन्हें क्यों कहता फिरूँ ? ...

June 8, 2014  · #195

कागज़

जो कागज़ हमने रात भर लहू से भरे थे, वो सुबह तुम्हारे आंसुओं से भीगे पड़े थे। ~रबी [ The pages that I filled my blood whole night, In the morning they were soaked in your tears. ]

June 7, 2014  · #194

तुम मेरी जान ही क्यों नहीं ले लेते?

क्यों सोने नहीं देते, क्यों रोने नहीं देते, क्यों हंसने नहीं देते, क्यों खुश होने नहीं देते। जो मैंने तुम्हे छोड़ा, तुम मुझे छोड़ क्यों नहीं देते, जो धुंधली पड़ गयी तुम्हारी यादें, आँखों पर से अपना अक्स हटा क्यों नहीं लेते, देखो अब तो खुद से भी नफरत हो चली, तुम खुद से नफरत करने क्यों नहीं देते? राख किये कल को एक अरसा हो गया, तुम अस्थियां भिगोने क्यों नहीं देते, जो दो कदम जाऊं तुमसे दूर, तुम तीसरा कदम लेने क्यों नहीं देते, खींच लेते हो सांस हलक से, दम घुटता है, पर दम घुटने भी नहीं देते। ...

June 6, 2014  · #193

बहुत दिन हुए, कुछ नया नहीं लिखा तुमने...

आज फुर्सत में बैठे, यूं ही याद आया मुझे, बहुत दिन हुए, कुछ नया नहीं लिखा तुमने… उम्मीद है, कलम तुम्हारी अभी टूटी नहीं होगी, लहू मिले आंसुओं की स्याही अभी सूखी नहीं होगी, उम्मीद है अभी भी तुम आयतें लिखते होगे किसी के लिए, उम्मीद है तुमसे तुम्हारी नज़्म अभी रूठी नहीं होगी। पता नहीं तुम्हे याद है भी या नहीं, कई दिन पहले तुमसे एक फरमाइश किया करता था अक्सर, शायद तुम भूल गए, शायद तुम उसे पूरी करना चाहते ही नहीं, चलो कोई बात नहीं, लिखना ना छोड़ देना मगर, पूरी ना कर सके फरमाइश अगर। ...

June 5, 2014  · #192

हद्द से ज्यादा

तकलीफ देने लगे ज़िन्दगी हद्द से ज्यादा जो कभी, समझ लीजिये आप हमको समझने के काबिल हो गए। ~रबी [ If ever life starts you giving unbearable pain, You will become capable of understanding me that day. ] ## I have said this before, and I will repeat. Intelligent two liners are my favorite to read and write. ##

May 25, 2014  · #191

भाई की सगाई

आप आये मेरे भाई की सगाई में क्या जरूरत थी, खुद तो आये ही पूरा परिवार लाने की भी आपने जुर्रत की, साला अब क्या खाने के पैसे तुम्हारे पडोसी आके देंगे, खुद तो ठूस कर निकल लोगे, आधे जने अब भूखे मरेंगे। यार सगाई पर बुलाने का तो सिर्फ रिवाज है, इसका मतलब ये तो नहीं आ धमको सही में, अगर नहीं कोई काम काज है ? मैं तो सोच ही रहा था तुम्हारी मनहूस शकल न देखनी पड़े, भगवान करे तुम्हारे भाई की शादी हो तो गली के कुत्ते खाने पे पहले ही टूट पड़े। ...

May 24, 2014  · #190

क्या वो भी

कभी कभी सोचता हूँ, ये किसने अँधेरे की ओट में ऐसा सवेरा जलाया होगा, ये किसने दिल पिघला कर इस मोम को बनाया होगा, वो कौन था जिसे रात-रात भर नींद नहीं आती होगी, जो उसने अपने ख़्वाबों को इतने आहिस्ता से सजाया होगा। कभी कभी सोचता हूँ, जब ये बोलती होगी, क्या सच में फ़िज़ा महकती होगी, क्या सच में इसकी महफ़िल में चिड़ियाँ आकर चहकती होंगी, ये हाथों में चमकते कंगन, ये गले में सफ़ेद हार, ये कानो में दमकते झुमके, ये तन पे कत्थई लिबास, क्या तब भी दुनिया इसे ही खूबसूरती की हद्द कहती होगी ? ...

May 23, 2014  · #189