आईना
एक दिन दिल सीने से निकाल कर रख दिया आईने के सामने, बोला, देख। देख कितना बदसूरत है तू। क्यों करता है फिर मोहब्बत किसी से, मैं हूँ न तेरे पास, फिर तुझे और किसी की जरूरत है क्यों? दिल ने आईना बड़े गौर से देखा, बोला, बदसूरत सही मैं, पर पाक हूँ। तुम मेरे साथ हो पर मैं तुम्हारा ना रहा, मैं तुम में धड़कता तो हूँ, पर दर्द मुझमे अब तुम्हारा ना रहा, और आईने में देखने की बात जाया ही करते हो तुम, मेरी बंदगी तो मोहब्बत से है बस, मोहब्बत करने वाला कभी हमारा ना रहा। ...