सरहद

सरहदें तो बहुत हैं, कुछ दिखती हैं, कुछ दिखती नहीं। सरहदें तो कबसे हैं, कुछ महसूस होती हैं, कुछ चुभती नहीं। तुम अपनी कहो, किस सरहद को लांघ कर आये हो, कोई अपना नहीं कहता मुझे तो, मेरे लिए सरहदें मायने रखती नहीं। ~रबी [ There are always many boundaries, Some are visible, some invisible. There have always been many boundaries, Some feel, some don’t sting. You tell about yourself, which border did you cross to come here, Nobody calls me their own so, To me, boundaries don’t matter. ] ...

July 16, 2014  · #220

जुगनी

की केवान जुगनी को अस्सी वी, जुगनी कुज समझती सी नहीं, जे कहाँ लड़ना है अज्ज मैनूं, ते लड़े विन रुक्दी वी नहीं। जुगनी नु जे ख़ुराफ़ात है, जे वि करो, कदो छिपदी सी नहीं, कित्ती वार बोलया न कर, न कर जुगनी, बिन किये गलती जुगनी, हाय, कुज सिखदी सी नहीं। ~रबी [ What shall I say to Jugni, Jugni doesn’t understand anything, If I say I want to fight today, Then she won’t stop before fighting. The mishief that’s inside Jugni, Whatever you don’t, it won’t hide, How many times did I say, don’t do it, don’t do it Jugni. But without making mistakes, alas, Jugni doesn’t learn anything ] ...

July 15, 2014  · #219

इख्तियार

इंतज़ार ही तो किया है ज़िन्दगी भर, उसमे क्या है, लौटने के लिए तुम्हे चाहिए ज़िन्दगी भर, तो उसमे क्या है, तुम्हे सब्र का इम्तेहान लेना है तो शौक से लो, इख्तियार करना हमें भी खूब आता है, उसमे क्या है। ~रबी [ I’ve only been waiting all my life, what’s in it, To come back, if you need your whole life, so what’s in it, If you would like to test my patience, be my guest, I know how to control myself, what’s in it. ] ...

July 14, 2014  · #218

जलपरी

बस एक जलपरी आये कहीं से, ले जाए दूर मुझे इस जमी से, उस जहां में जहाँ मैं भूल जाऊं सभी को , जो हुआ, जो होगा, जो हो रहा, सभी कुछ। बस नीला नीला सा पानी हो या उजली उजली सी बरफ , मैं रहूँ उसमे, वो, और गहरा समंदर हर तरफ, ख्वाब ही में सही, झूठी आये तो सही , मुझे क्या समझ क्या गलत क्या सही, तसल्ली भर ही हो जाए तो सही। ...

July 13, 2014  · #217

हुनर

क्या हुनर दिखाऊं तुझे मैं अपना, अपनी नुमाइश करना तबायफों की फितरत है, जिगर काट कर थोड़ा थोड़ा अपना, हमें तो पेश करने की आदत है। ~रबी [ What talent shall I show you, To show-off is a habit of prostitutes, Cutting my liver bit by bit, Is how I like to present it. ]

July 12, 2014  · #216

पाँव

कभी लाओ अपने पाँव हमारे आँगन में भी, बहुत दिनों से गलियारे में हरियाली नहीं हुई है, जहाँ जहाँ भी पड़ जाते हैं कदम आपके, वो धूल भी सोने के दाम बेचीं जाती है। पर कुछ बदकिस्मत नहीं पहचानते इन कदमो की कीमत को, तो क्या पता इस बहाने पाँव की नमी मिल जाय हमारी ही सूखी जमी को, अच्छा ही है, उम्मीद है, उम्मीद बंधे रहने दो, और हाँ एक बात और… इन कदमो को, जन्मदिन मुबारक हो। ...

July 11, 2014  · #215

इन्द्र-धनुष

जब जीवन में केवल दुःख की ही बरसात हो, ना रवि का ही कहीं निकट होने का आभास हो। निश्चय ही बहुत कठिन है, किन्तु हो सके तो, मन मस्तिक में बात मेरी ये बाँध लो। सुख का इन्द्र-धनुष समीप ही है , बस रुकना नहीं तुम, ऐ मित्र तुम बढते चलो। ~रबी [ When there is just rain of sorrow in life everywhere, Neither the sun is perceived to be somewhere near. Indeed it is very difficult, but if possible, Try and contemplate this in your mind, The rainbow of relief is somewhere nearby, But don’t you dare stop, my friend, just keep walking. ] ...

July 10, 2014  · #214

तिल

बात करो चाहे गले की या गालों की, बात करो चाहे कमर की या हाथों की, तुमने हर जगह तिल सजा रखे हैं, क्या हमारी नज़र इतनी बुरी है ऐ सनम, इनसे बचने को खुद पर दाग लगा रखें हैं ? पर तुम क्या जानो, तुम अभी नादान हो, जिसकी खबर पूरी दुनिया को है, तुम इस बात से अनजान हो , जो निशान तुमने हमसे बचने को बनाये थे, वही निशान तो हमें तुम्हारी ओर खींच लाये थे। ...

July 9, 2014  · #213

सिलवटें

जो कर सके हाल-ए-बयान, तेरे कांच के अर्श का, मेरे मिट्टी के फर्श का, तेरे बढते मर्ज़ का, मेरे बहते दर्द का, नमी तेरी नज़र का, कमी मेरे हमदर्द का, कहाँ से लाऊं सिलवटें इतनी … ~रबी [ Which could describe clearly, About your glass ceilings, About my soiled floor, About your increasing disease, About the pain running in my guts, About the moisture in your eyes, About the lack of my soulmate, From where should I get so many wrinkles… ] ...

July 8, 2014  · #212

आफरीन

चाहूँ चाहे जितना भी खुद को रोकना, पर दिल दिमाग के बस में अब कहाँ, धक् सी होती है सीने में हर बार, पर तुझे देखे बिना दिल को ठंडक भी कहाँ , होगी तू नर्गिस, मह्रूख, नवाजिश कहीं की, तेरी तस्वीर ने तो मेरे दिल से बस यही कहा… आफरीन। आफरीन। आफरीन। ~रबी [ However much I want to stop myself, But heart isn’t in control of brain now, It skips a beat inside the chest every time, But without seeing you, the heart doesn’t get contend too, You might get called a flower, a moon, or a favor somewhere, But your picture says just one word to my heart… Beautiful. Beautiful. Beautiful. ] ...

July 7, 2014  · #211