एक बात थी कहने को,
जो अरमान बन रह गयी।
 

दिल से तो निकली थी उफ़न के,
पर ज़ुबान बंद रह गयी।
 

तुझको पाया तो औरों की क्या कहें,
खुद अपने हाथों की लकीरें दंग रह गयीं।
 

कुछ इस कदर हारे हम तेरी आदतों से,
मेरी हर अदा तेरी शोख़ियों के आगे कम रह गयी।
 

मगर…
ख़बर मिली रुख़सत होने की तेरी मुझे जब,
लहू की बूँदें रगों में जम रह गयीं।
 

छीन लिया उस ख़ुदा ने तुझे मुझसे,
और वो अनकही बात दफ़न हो संग रह गयी…

~रबी

[ I wanted to say something,
But I couldn’t say.

It blasted from the heart,
But lips didn’t sway.

When you came in life, of others what can I say,
My own luck couldn’t believe it.

I lost to your habits so badly,
All my style couldn’t match your flattery.

But…
The day I found you passed away,
The blood in my veins froze.

That God took you away from me,
Those last words, I couldn’t say… ]